स्वर्ण अंडे देने वाली मुर्गी एक समय की बात है, एक गरीब किसान था। उसके पास बहुत थोड़ी सी जमीन थी, और वह बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पालन-पोषण कर पाता था। एक दिन उसे एक अनोखी मुर्गी मिली जो रोज एक सोने का अंडा देती थी। किसान बहुत खुश हुआ और उसने सोने के अंडे बेचकर अपनी गरीबी से छुटकारा पा लिया। उसकी स्थिति दिन-ब-दिन सुधरने लगी, और वह अमीर हो गया।
स्वर्ण अंडे देने वाली मुर्गी एक समय की बात है, एक गरीब किसान था। उसके पास बहुत थोड़ी सी जमीन थी, और वह बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पालन-पोषण कर पाता था। एक दिन उसे एक अनोखी मुर्गी मिली जो रोज एक सोने का अंडा देती थी। किसान बहुत खुश हुआ और उसने सोने के अंडे बेचकर अपनी गरीबी से छुटकारा पा लिया। उसकी स्थिति दिन-ब-दिन सुधरने लगी, और वह अमीर हो गया।
वह अंगूर खाने का विचार त्याग चुकी थी. पास ही एक पेड़ पर बैठा बंदर (Monkey) उसे बहुत देर से देख रहा था. उसे जाते हुए देख वह खुद को रोक नहीं पाया और पूछ बैठा, “क्या हुआ लोमड़ी बहन? वापस क्यों जा रही हो? अंगूर नहीं खाओगी?” लोमड़ी रुकी और बंदर को देखकर फीकी मुस्कान से साथ बोली, “नहीं बंदर भाई. मैं ऐसे अंगूर नहीं खाती. ये तो खट्टे हैं.”
वह अंगूर खाने का विचार त्याग चुकी थी. पास ही एक पेड़ पर बैठा बंदर (Monkey) उसे बहुत देर से देख रहा था. उसे जाते हुए देख वह खुद को रोक नहीं पाया और पूछ बैठा, “क्या हुआ लोमड़ी बहन? वापस क्यों जा रही हो? अंगूर नहीं खाओगी?” लोमड़ी रुकी और बंदर को देखकर फीकी मुस्कान से साथ बोली, “नहीं बंदर भाई. मैं ऐसे अंगूर नहीं खाती. ये तो खट्टे हैं.”
वह अंगूर खाने का विचार त्याग चुकी थी. पास ही एक पेड़ पर बैठा बंदर (Monkey) उसे बहुत देर से देख रहा था. उसे जाते हुए देख वह खुद को रोक नहीं पाया और पूछ बैठा, “क्या हुआ लोमड़ी बहन? वापस क्यों जा रही हो? अंगूर नहीं खाओगी?” लोमड़ी रुकी और बंदर को देखकर फीकी मुस्कान से साथ बोली, “नहीं बंदर भाई. मैं ऐसे अंगूर नहीं खाती. ये तो खट्टे हैं.”
वह थककर पेड़ के नीचे बैठ गई और ललचाई नज़रों से अंगूर को देखने लगी. वह समझ कई कि अंगूर तक पहुँचना उसने बस के बाहर है. इसलिए कुछ देर अंगूरों को ताकने के बाद वह उठी और वहाँ से जाने लगी.
वह थककर पेड़ के नीचे बैठ गई और ललचाई नज़रों से अंगूर को देखने लगी. वह समझ कई कि अंगूर तक पहुँचना उसने बस के बाहर है. इसलिए कुछ देर अंगूरों को ताकने के बाद वह उठी और वहाँ से जाने लगी.
अंगूर देखते ही लोमड़ी (Fox) के मुँह से लार टपकने लगी. वह उन रस भरे अंगूरों को खाकर तृप्त हो जाना चाहती थी. उसने अंगूर के एक गुच्छे पर अपनी दृष्टि जमाई और जोर से उछली. ऊँची डाली पर लिपटी अंगूर (Grapes) की बेल पर लटका अंगूर का गुच्छा उसकी पहुँच के बाहर था. उसका प्रयास व्यर्थ रहा.
अंगूर देखते ही लोमड़ी (Fox) के मुँह से लार टपकने लगी. वह उन रस भरे अंगूरों को खाकर तृप्त हो जाना चाहती थी. उसने अंगूर के एक गुच्छे पर अपनी दृष्टि जमाई और जोर से उछली. ऊँची डाली पर लिपटी अंगूर (Grapes) की बेल पर लटका अंगूर का गुच्छा उसकी पहुँच के बाहर था. उसका प्रयास व्यर्थ रहा.
अंगूर देखते ही लोमड़ी (Fox) के मुँह से लार टपकने लगी. वह उन रस भरे अंगूरों को खाकर तृप्त हो जाना चाहती थी. उसने अंगूर के एक गुच्छे पर अपनी दृष्टि जमाई और जोर से उछली. ऊँची डाली पर लिपटी अंगूर (Grapes) की बेल पर लटका अंगूर का गुच्छा उसकी पहुँच के बाहर था. उसका प्रयास व्यर्थ रहा.
एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. एक दिन वह भूखी-प्यासी भोजन की तलाश में जंगल में भटक रही थी. भटकते-भटकते सुबह से शाम हो गई, लेकिन वह शिकार प्राप्त न कर सकी.
एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. एक दिन वह भूखी-प्यासी भोजन की तलाश में जंगल में भटक रही थी. भटकते-भटकते सुबह से शाम हो गई, लेकिन वह शिकार प्राप्त न कर सकी.
एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. एक दिन वह भूखी-प्यासी भोजन की तलाश में जंगल में भटक रही थी. भटकते-भटकते सुबह से शाम हो गई, लेकिन वह शिकार प्राप्त न कर सकी.
एक समय की बात है, जंगल में एक गधा और कुत्ता अच्छे दोस्त थे। गधा रोज़ अपने मालिक के लिए बोझा ढोता और कुत्ता उसकी रखवाली करता। एक दिन गधे को लगा कि कुत्ता कुछ नहीं करता, बस आराम करता है। गधे ने कुत्ते से कहा, "तुम्हें भी मेरे जैसे काम करना चाहिए।" कुत्ता चुपचाप सुनता रहा।
एक समय की बात है, जंगल में एक गधा और कुत्ता अच्छे दोस्त थे। गधा रोज़ अपने मालिक के लिए बोझा ढोता और कुत्ता उसकी रखवाली करता। एक दिन गधे को लगा कि कुत्ता कुछ नहीं करता, बस आराम करता है। गधे ने कुत्ते से कहा, "तुम्हें भी मेरे जैसे काम करना चाहिए।" कुत्ता चुपचाप सुनता रहा।
एक समय की बात है, जंगल में एक गधा और कुत्ता अच्छे दोस्त थे। गधा रोज़ अपने मालिक के लिए बोझा ढोता और कुत्ता उसकी रखवाली करता। एक दिन गधे को लगा कि कुत्ता कुछ नहीं करता, बस आराम करता है। गधे ने कुत्ते से कहा, "तुम्हें भी मेरे जैसे काम करना चाहिए।" कुत्ता चुपचाप सुनता रहा।
एक जंगल में एक कछुआ और खरगोश रहते थे। खरगोश बहुत तेज दौड़ सकता था, जबकि कछुआ धीरे-धीरे चलता था। एक दिन, खरगोश ने कछुए को चिढ़ाते हुए कहा, "तुम बहुत धीमे हो! तुम्हें मेरे साथ दौड़ में भाग लेना चाहिए।" कछुआ मुस्कराया और खरगोश की चुनौती स्वीकार कर ली।
एक जंगल में एक कछुआ और खरगोश रहते थे। खरगोश बहुत तेज दौड़ सकता था, जबकि कछुआ धीरे-धीरे चलता था। एक दिन, खरगोश ने कछुए को चिढ़ाते हुए कहा, "तुम बहुत धीमे हो! तुम्हें मेरे साथ दौड़ में भाग लेना चाहिए।" कछुआ मुस्कराया और खरगोश की चुनौती स्वीकार कर ली।
एक जंगल में एक कछुआ और खरगोश रहते थे। खरगोश बहुत तेज दौड़ सकता था, जबकि कछुआ धीरे-धीरे चलता था। एक दिन, खरगोश ने कछुए को चिढ़ाते हुए कहा, "तुम बहुत धीमे हो! तुम्हें मेरे साथ दौड़ में भाग लेना चाहिए।" कछुआ मुस्कराया और खरगोश की चुनौती स्वीकार कर ली।
शिक्षा दया और परोपकार करने से हम न केवल दूसरों की मदद करते हैं, बल्कि स्वयं भी लाभान्वित होते हैं।
शिक्षा दया और परोपकार करने से हम न केवल दूसरों की मदद करते हैं, बल्कि स्वयं भी लाभान्वित होते हैं।
शिक्षा दया और परोपकार करने से हम न केवल दूसरों की मदद करते हैं, बल्कि स्वयं भी लाभान्वित होते हैं।
शिक्षा दया और परोपकार करने से हम न केवल दूसरों की मदद करते हैं, बल्कि स्वयं भी लाभान्वित होते हैं।
लकड़हारा समझ गया कि यह वही हिरण है जिसे उसने मदद की थी। उसने हिरण को प्यार से देखा और महसूस किया कि दया का फल हमेशा अच्छा होता है।
लकड़हारा समझ गया कि यह वही हिरण है जिसे उसने मदद की थी। उसने हिरण को प्यार से देखा और महसूस किया कि दया का फल हमेशा अच्छा होता है।
लकड़हारा समझ गया कि यह वही हिरण है जिसे उसने मदद की थी। उसने हिरण को प्यार से देखा और महसूस किया कि दया का फल हमेशा अच्छा होता है।
हिरण ने सोचा, "मैं इस दयालु व्यक्ति का अहसान कैसे चुका सकता हूं?" कुछ दिनों बाद, जब लकड़हारा जंगल में लकड़ियां काट रहा था, तो अचानक एक बड़ा पेड़ उसके ऊपर गिरने वाला था। लकड़हारा समय पर कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन उसी समय वही हिरण वहां आ पहुंचा और तेजी से लकड़हारे को खींच कर पेड़ से दूर कर दिया। लकड़हारे की जान बच गई।
हिरण ने सोचा, "मैं इस दयालु व्यक्ति का अहसान कैसे चुका सकता हूं?" कुछ दिनों बाद, जब लकड़हारा जंगल में लकड़ियां काट रहा था, तो अचानक एक बड़ा पेड़ उसके ऊपर गिरने वाला था। लकड़हारा समय पर कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन उसी समय वही हिरण वहां आ पहुंचा और तेजी से लकड़हारे को खींच कर पेड़ से दूर कर दिया। लकड़हारे की जान बच गई।
हिरण ने सोचा, "मैं इस दयालु व्यक्ति का अहसान कैसे चुका सकता हूं?" कुछ दिनों बाद, जब लकड़हारा जंगल में लकड़ियां काट रहा था, तो अचानक एक बड़ा पेड़ उसके ऊपर गिरने वाला था। लकड़हारा समय पर कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन उसी समय वही हिरण वहां आ पहुंचा और तेजी से लकड़हारे को खींच कर पेड़ से दूर कर दिया। लकड़हारे की जान बच गई।
कुछ देर बाद, एक लकड़हारा वहां से गुजर रहा था। उसने हिरण को देखा और उसकी ओर बढ़ा। लकड़हारे ने धीरे से हिरण के पैर से कांटा निकाल दिया और उसकी देखभाल की। हिरण ने दर्द से राहत पाई और कृतज्ञता से लकड़हारे को देखा।
कुछ देर बाद, एक लकड़हारा वहां से गुजर रहा था। उसने हिरण को देखा और उसकी ओर बढ़ा। लकड़हारे ने धीरे से हिरण के पैर से कांटा निकाल दिया और उसकी देखभाल की। हिरण ने दर्द से राहत पाई और कृतज्ञता से लकड़हारे को देखा।
कुछ देर बाद, एक लकड़हारा वहां से गुजर रहा था। उसने हिरण को देखा और उसकी ओर बढ़ा। लकड़हारे ने धीरे से हिरण के पैर से कांटा निकाल दिया और उसकी देखभाल की। हिरण ने दर्द से राहत पाई और कृतज्ञता से लकड़हारे को देखा।
कुछ देर बाद, एक लकड़हारा वहां से गुजर रहा था। उसने हिरण को देखा और उसकी ओर बढ़ा। लकड़हारे ने धीरे से हिरण के पैर से कांटा निकाल दिया और उसकी देखभाल की। हिरण ने दर्द से राहत पाई और कृतज्ञता से लकड़हारे को देखा।
एक बार की बात है, एक जंगल में एक छोटा सा हिरण घूम रहा था। वह बहुत प्यारा और मासूम था, लेकिन थोड़ी दूर चलते ही उसके पैर में एक कांटा चुभ गया। दर्द से तड़पता हुआ, वह मदद के लिए इधर-उधर देखने लगा, लेकिन जंगल में कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया।
एक बार की बात है, एक जंगल में एक छोटा सा हिरण घूम रहा था। वह बहुत प्यारा और मासूम था, लेकिन थोड़ी दूर चलते ही उसके पैर में एक कांटा चुभ गया। दर्द से तड़पता हुआ, वह मदद के लिए इधर-उधर देखने लगा, लेकिन जंगल में कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया।
एक गाँव में दो दोस्त, मोहन और सोहन, रहते थे। दोनों में गहरी मित्रता थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे। एक दिन, गाँव में यह खबर फैल गई कि जंगल के बीचों-बीच एक गुफा में खजाना छुपा हुआ है। दोनों दोस्तों ने फैसला किया कि वे उस खजाने को ढूंढने के लिए जाएंगे और जो कुछ भी मिलेगा, उसे बराबर बांट लेंगे।
एक गाँव में दो दोस्त, मोहन और सोहन, रहते थे। दोनों में गहरी मित्रता थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे। एक दिन, गाँव में यह खबर फैल गई कि जंगल के बीचों-बीच एक गुफा में खजाना छुपा हुआ है। दोनों दोस्तों ने फैसला किया कि वे उस खजाने को ढूंढने के लिए जाएंगे और जो कुछ भी मिलेगा, उसे बराबर बांट लेंगे।