मोहन सोचने लगा कि अब उसकी गरीबी दूर हो जाएगी। लेकिन फिर उसने सोचा कि यह सोना उसका नहीं है, इसे किसी ने खोया होगा। वह तुरंत गाँव के सरपंच के पास गया और थैला उन्हें सौंप दिया। Q
मोहन सोचने लगा कि अब उसकी गरीबी दूर हो जाएगी। लेकिन फिर उसने सोचा कि यह सोना उसका नहीं है, इसे किसी ने खोया होगा। वह तुरंत गाँव के सरपंच के पास गया और थैला उन्हें सौंप दिया। Q
मोहन सोचने लगा कि अब उसकी गरीबी दूर हो जाएगी। लेकिन फिर उसने सोचा कि यह सोना उसका नहीं है, इसे किसी ने खोया होगा। वह तुरंत गाँव के सरपंच के पास गया और थैला उन्हें सौंप दिया।
मोहन सोचने लगा कि अब उसकी गरीबी दूर हो जाएगी। लेकिन फिर उसने सोचा कि यह सोना उसका नहीं है, इसे किसी ने खोया होगा। वह तुरंत गाँव के सरपंच के पास गया और थैला उन्हें सौंप दिया।
मोहन सोचने लगा कि अब उसकी गरीबी दूर हो जाएगी। लेकिन फिर उसने सोचा कि यह सोना उसका नहीं है, इसे किसी ने खोया होगा। वह तुरंत गाँव के सरपंच के पास गया और थैला उन्हें सौंप दिया।
एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत ईमानदार और मेहनती व्यक्ति था, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। एक दिन, मोहन को खेत की जुताई करते समय एक बड़ा सा थैला मिला। जब उसने थैला खोला तो उसमें सोने के सिक्के भरे हुए थे।
एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत ईमानदार और मेहनती व्यक्ति था, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। एक दिन, मोहन को खेत की जुताई करते समय एक बड़ा सा थैला मिला। जब उसने थैला खोला तो उसमें सोने के सिक्के भरे हुए थे।
मजबूत होंगे, तो हम जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमेशा मजबूती से खड़े रहेंगे। अगर हमारे विश्वास कमजोर होंगे, तो जीवन के संघर्ष में हम टिक नहीं पाएंगे।"
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि मजबूत विश्वास, अच्छे कर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलने से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है। यह जीवन की नींव है, जो हमें मजबूती से खड़ा रखती है।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि मजबूत विश्वास, अच्छे कर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलने से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है। यह जीवन की नींव है, जो हमें मजबूती से खड़ा रखती है।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि मजबूत विश्वास, अच्छे कर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलने से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है। यह जीवन की नींव है, जो हमें मजबूती से खड़ा रखती है।
साधु ने आगे कहा, "इसलिए, हमेशा अपने विश्वास को मजबूत बनाओ। अच्छे कर्म करो, सच्चाई के मार्ग पर चलो और अपने मन को शुद्ध रखो। जीवन में आने वाली चुनौतियाँ तुम्हें हिला नहीं सकेंगी।"
साधु ने आगे कहा, "इसलिए, हमेशा अपने विश्वास को मजबूत बनाओ। अच्छे कर्म करो, सच्चाई के मार्ग पर चलो और अपने मन को शुद्ध रखो। जीवन में आने वाली चुनौतियाँ तुम्हें हिला नहीं सकेंगी।"
मजबूत होंगे, तो हम जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमेशा मजबूती से खड़े रहेंगे। अगर हमारे विश्वास कमजोर होंगे, तो जीवन के संघर्ष में हम टिक नहीं पाएंगे।"
मजबूत होंगे, तो हम जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमेशा मजबूती से खड़े रहेंगे। अगर हमारे विश्वास कमजोर होंगे, तो जीवन के संघर्ष में हम टिक नहीं पाएंगे।"
मजबूत होंगे, तो हम जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमेशा मजबूती से खड़े रहेंगे। अगर हमारे विश्वास कमजोर होंगे, तो जीवन के संघर्ष में हम टिक नहीं पाएंगे।"
साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल्कुल सही! तुमने ध्यान से देखा। अब यह समझो कि जीवन भी इसी जंगल की तरह है। पेड़ की जड़ें हमारी मूलभूत सोच और विश्वास हैं। अगर हमारी सोच और विश्वास
साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल्कुल सही! तुमने ध्यान से देखा। अब यह समझो कि जीवन भी इसी जंगल की तरह है। पेड़ की जड़ें हमारी मूलभूत सोच और विश्वास हैं। अगर हमारी सोच और विश्वास
तीसरे शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने देखा कि जंगल में हर पेड़ की जड़ें बहुत गहरी थीं। कुछ पेड़ बड़े थे, कुछ छोटे, लेकिन सभी पेड़ मजबूती से खड़े थे।"
तीसरे शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने देखा कि जंगल में हर पेड़ की जड़ें बहुत गहरी थीं। कुछ पेड़ बड़े थे, कुछ छोटे, लेकिन सभी पेड़ मजबूती से खड़े थे।"
तीसरे शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने देखा कि जंगल में हर पेड़ की जड़ें बहुत गहरी थीं। कुछ पेड़ बड़े थे, कुछ छोटे, लेकिन सभी पेड़ मजबूती से खड़े थे।"
दूसरे शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने देखा कि जंगल में बहुत सारे जानवर हैं, और कुछ जानवर भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहे थे।"
दूसरे शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने देखा कि जंगल में बहुत सारे जानवर हैं, और कुछ जानवर भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहे थे।"
दूसरे शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने देखा कि जंगल में बहुत सारे जानवर हैं, और कुछ जानवर भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहे थे।"
पहले शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने बहुत से पेड़-पौधे देखे, पक्षी चहचहाते हुए सुने, और एक नदी भी देखी।"
पहले शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने बहुत से पेड़-पौधे देखे, पक्षी चहचहाते हुए सुने, और एक नदी भी देखी।"
पहले शिष्य ने कहा, "गुरुजी, मैंने बहुत से पेड़-पौधे देखे, पक्षी चहचहाते हुए सुने, और एक नदी भी देखी।"
शिष्य जंगल में घूमने लगे। कुछ समय बाद, वे लौटकर साधु के पास आए। साधु ने पूछा, "तुम लोगों ने क्या देखा?"
शिष्य जंगल में घूमने लगे। कुछ समय बाद, वे लौटकर साधु के पास आए। साधु ने पूछा, "तुम लोगों ने क्या देखा?"
शिष्य जंगल में घूमने लगे। कुछ समय बाद, वे लौटकर साधु के पास आए। साधु ने पूछा, "तुम लोगों ने क्या देखा?"
शिष्य जंगल में घूमने लगे। कुछ समय बाद, वे लौटकर साधु के पास आए। साधु ने पूछा, "तुम लोगों ने क्या देखा?"
हुआ। मेंढक का सरदार कुछ देर तक चुप रहा, तो समूह में से एक मेंढक बोला, “सरदार यह झूठ बोल रहा है। हमारे कुएं से विशाल जगह कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे झूठे मक्कार मेंढक को हम अपने साथ नहीं रख सकते। इसे यहाँ से भगाइये।”
हुआ। मेंढक का सरदार कुछ देर तक चुप रहा, तो समूह में से एक मेंढक बोला, “सरदार यह झूठ बोल रहा है। हमारे कुएं से विशाल जगह कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे झूठे मक्कार मेंढक को हम अपने साथ नहीं रख सकते। इसे यहाँ से भगाइये।”
हुआ। मेंढक का सरदार कुछ देर तक चुप रहा, तो समूह में से एक मेंढक बोला, “सरदार यह झूठ बोल रहा है। हमारे कुएं से विशाल जगह कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे झूठे मक्कार मेंढक को हम अपने साथ नहीं रख सकते। इसे यहाँ से भगाइये।”
समुद्री मेंढक ने हँसते हुए जवाब दिया, “इससे कहीं बड़ा। जिसका अंदाज़ा ही नहीं लगाया जा सकता।” ना मेंढक का सरदार और ना उसके समूह के मेंढक कभी कुएं से बाहर निकले थे। कुआं ही उनकी दुनिया थी। उन्हें समुद्री मेंढक की बात पर यकीन ही
समुद्री मेंढक ने हँसते हुए जवाब दिया, “इससे कहीं बड़ा। जिसका अंदाज़ा ही नहीं लगाया जा सकता।” ना मेंढक का सरदार और ना उसके समूह के मेंढक कभी कुएं से बाहर निकले थे। कुआं ही उनकी दुनिया थी। उन्हें समुद्री मेंढक की बात पर यकीन ही
एक बार की बात है, एक साधु के पास दो शिष्य थे। साधु बहुत ही ज्ञानी और धैर्यवान थे। एक दिन उन्होंने अपने दोनों शिष्यों को एक-एक कटोरी दी और उसमें एक-एक माचिस की तीली रख दी। फिर उन्होंने दोनों शिष्यों को जंगल भेजा और कहा, "तुम्हें इस माचिस की तीली को जलाए बिना घर वापस आना है।"