बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में दो मित्र रहते थे—एक था बंदर और दूसरा था हाथी। दोनों की गहरी दोस्ती थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद किया करते थे। जंगल के सभी जानवर उनकी मित्रता की मिसाल दिया करते थे।
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में दो मित्र रहते थे—एक था बंदर और दूसरा था हाथी। दोनों की गहरी दोस्ती थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद किया करते थे। जंगल के सभी जानवर उनकी मित्रता की मिसाल दिया करते थे।
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में दो मित्र रहते थे—एक था बंदर और दूसरा था हाथी। दोनों की गहरी दोस्ती थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद किया करते थे। जंगल के सभी जानवर उनकी मित्रता की मिसाल दिया करते थे।
एक दिन एक छोटा सा चतुर खरगोश की बारी आई। वह जानता था कि शेर के पास जाने का मतलब
एक दिन एक छोटा सा चतुर खरगोश की बारी आई। वह जानता था कि शेर के पास जाने का मतलब
एक दिन एक छोटा सा चतुर खरगोश की बारी आई। वह जानता था कि शेर के पास जाने का मतलब
एक बार की बात है, एक गांव में दो दोस्त रहते थे—रामू और श्यामू। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हर समय साथ रहते थे। एक दिन, गांव में एक बड़ा मेला लगा। रामू और श्यामू मेले में जाने के लिए बहुत उत्सुक थे, लेकिन रामू के पास पैसे नहीं थे। श्यामू ने रामू को अपने पैसे दे दिए और दोनों मेले में चले गए
एक बार की बात है, एक गांव में दो दोस्त रहते थे—रामू और श्यामू। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हर समय साथ रहते थे। एक दिन, गांव में एक बड़ा मेला लगा। रामू और श्यामू मेले में जाने के लिए बहुत उत्सुक थे, लेकिन रामू के पास पैसे नहीं थे। श्यामू ने रामू को अपने पैसे दे दिए और दोनों मेले में चले गए
एक बार की बात है, एक गांव में दो दोस्त रहते थे—रामू और श्यामू। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हर समय साथ रहते थे। एक दिन, गांव में एक बड़ा मेला लगा। रामू और श्यामू मेले में जाने के लिए बहुत उत्सुक थे, लेकिन रामू के पास पैसे नहीं थे। श्यामू ने रामू को अपने पैसे दे दिए और दोनों मेले में चले गए
एक दिन एक छोटा सा चतुर खरगोश की बारी आई। वह जानता था कि शेर के पास जाने का मतलब निश्चित मौत है। इसलिए उसने एक योजना बनाई। खरगोश जानबूझकर शेर के पास देर से पहुँचा। शेर गुस्से से बोला, "तुम इतनी देर से क्यों आए? अब मैं तुम्हें मारने से पहले और भी ज्यादा गुस्से में
एक दिन एक छोटा सा चतुर खरगोश की बारी आई। वह जानता था कि शेर के पास जाने का मतलब निश्चित मौत है। इसलिए उसने एक योजना बनाई। खरगोश जानबूझकर शेर के पास देर से पहुँचा। शेर गुस्से से बोला, "तुम इतनी देर से क्यों आए? अब मैं तुम्हें मारने से पहले और भी ज्यादा गुस्से में
एक दिन एक छोटा सा चतुर खरगोश की बारी आई। वह जानता था कि शेर के पास जाने का मतलब निश्चित मौत है। इसलिए उसने एक योजना बनाई। खरगोश जानबूझकर शेर के पास देर से पहुँचा। शेर गुस्से से बोला, "तुम इतनी देर से क्यों आए? अब मैं तुम्हें मारने से पहले और भी ज्यादा गुस्से में
शेर ने सोचा कि यह समझौता उसके लिए भी अच्छा है, क्योंकि उसे शिकार के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। उसने जानवरों की बात मान ली। अब रोज एक जानवर अपनी बारी आने पर शेर के पास जाने लगा, और शेर उसे खाकर संतुष्ट हो जाता।
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। वह रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और बिना किसी कारण के उन्हें मार डालता। इससे जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान थे। उन्होंने शेर के पास जाकर विनती की, "हे जंगल के राजा, कृपया हर दिन हमें मत मारो। हम रोज एक जानवर को खुद तुम्हारे पास भेज देंगे ताकि तुम उसे खा सको।"
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। वह रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और बिना किसी कारण के उन्हें मार डालता। इससे जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान थे। उन्होंने शेर के पास जाकर विनती की, "हे जंगल के राजा, कृपया हर दिन हमें मत मारो। हम रोज एक जानवर को खुद तुम्हारे पास भेज देंगे ताकि तुम उसे खा सको।"
एक बार एक छोटे से गाँव में एक गरीब किसान रहता था जिसका नाम रामू था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी। एक दिन रामू अपने खेत में काम कर रहा था, तभी उसने खेत के किनारे एक घायल पक्षी देखा। पक्षी उड़ने में असमर्थ था और दर्द से कराह रहा था। रामू को उस पर बहुत दया आई। उसने पक्षी को उठाया, उसे अपने घर ले गया और उसकी देखभाल करने लगा।
रामू ने पक्षी को ठीक होने तक अपने पास रखा। कुछ दिनों बाद पक्षी ठीक हो गया और उड़ने लायक हो गया। जब पक्षी ने उड़ने की कोशिश की, तो वह रामू के चारों ओर चक्कर लगाने लगा, जैसे उसे धन्यवाद कह रहा हो। रामू ने मुस्कुराते हुए उसे विदा किया और अपने काम में लग गया।
रामू ने पक्षी को ठीक होने तक अपने पास रखा। कुछ दिनों बाद पक्षी ठीक हो गया और उड़ने लायक हो गया। जब पक्षी ने उड़ने की कोशिश की, तो वह रामू के चारों ओर चक्कर लगाने लगा, जैसे उसे धन्यवाद कह रहा हो। रामू ने मुस्कुराते हुए उसे विदा किया और अपने काम में लग गया।
रामू ने पक्षी को ठीक होने तक अपने पास रखा। कुछ दिनों बाद पक्षी ठीक हो गया और उड़ने लायक हो गया। जब पक्षी ने उड़ने की कोशिश की, तो वह रामू के चारों ओर चक्कर लगाने लगा, जैसे उसे धन्यवाद कह रहा हो। रामू ने मुस्कुराते हुए उसे विदा किया और अपने काम में लग गया।
कुछ दिनों बाद रामू के खेत में नई फसल लहलहाने लगी, और उसकी हालत पहले से बेहतर हो गई। रामू को समझ आ गया कि उसने जो मदद की थी, उसका फल उसे वापस मिल गया।
कुछ दिनों बाद रामू के खेत में नई फसल लहलहाने लगी, और उसकी हालत पहले से बेहतर हो गई। रामू को समझ आ गया कि उसने जो मदद की थी, उसका फल उसे वापस मिल गया।
कुछ हफ्ते बाद रामू के खेत में सूखा पड़ गया और उसकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। वह बहुत परेशान हो गया, क्योंकि उसके पास अब खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था। तभी एक दिन वही पक्षी, जिसे रामू ने बचाया था, अपने साथ कई और पक्षियों को लेकर रामू के खेत में आया। वे सभी पक्षी खेत में उगने वाले बीज और फसल के अवशेष इकट्ठा करने लगे और रामू के खेत में बीज बोने में मदद करने लगे।
कुछ हफ्ते बाद रामू के खेत में सूखा पड़ गया और उसकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। वह बहुत परेशान हो गया, क्योंकि उसके पास अब खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था। तभी एक दिन वही पक्षी, जिसे रामू ने बचाया था, अपने साथ कई और पक्षियों को लेकर रामू के खेत में आया। वे सभी पक्षी खेत में उगने वाले बीज और फसल के अवशेष इकट्ठा करने लगे और रामू के खेत में बीज बोने में मदद करने लगे।
कुछ दिनों बाद रामू के खेत में नई फसल लहलहाने लगी, और उसकी हालत पहले से बेहतर हो गई। रामू को समझ आ गया कि उसने जो मदद की थी, उसका फल उसे वापस मिल गया।
कुछ दिनों बाद रामू के खेत में नई फसल लहलहाने लगी, और उसकी हालत पहले से बेहतर हो गई। रामू को समझ आ गया कि उसने जो मदद की थी, उसका फल उसे वापस मिल गया।
कुछ दिनों बाद रामू के खेत में नई फसल लहलहाने लगी, और उसकी हालत पहले से बेहतर हो गई। रामू को समझ आ गया कि उसने जो मदद की थी, उसका फल उसे वापस मिल गया।
कुछ हफ्ते बाद रामू के खेत में सूखा पड़ गया और उसकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। वह बहुत परेशान हो गया, क्योंकि उसके पास अब खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था। तभी एक दिन वही पक्षी, जिसे रामू ने बचाया था, अपने साथ कई और पक्षियों को लेकर रामू के खेत में आया। वे सभी पक्षी खेत में उगने वाले बीज और फसल के अवशेष इकट्ठा करने लगे और रामू के खेत में बीज बोने में मदद करने लगे
कुछ हफ्ते बाद रामू के खेत में सूखा पड़ गया और उसकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। वह बहुत परेशान हो गया, क्योंकि उसके पास अब खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था। तभी एक दिन वही पक्षी, जिसे रामू ने बचाया था, अपने साथ कई और पक्षियों को लेकर रामू के खेत में आया। वे सभी पक्षी खेत में उगने वाले बीज और फसल के अवशेष इकट्ठा करने लगे और रामू के खेत में बीज बोने में मदद करने लगे
कुछ हफ्ते बाद रामू के खेत में सूखा पड़ गया और उसकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। वह बहुत परेशान हो गया, क्योंकि उसके पास अब खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था। तभी एक दिन वही पक्षी, जिसे रामू ने बचाया था, अपने साथ कई और पक्षियों को लेकर रामू के खेत में आया। वे सभी पक्षी खेत में उगने वाले बीज और फसल के अवशेष इकट्ठा करने लगे और रामू के खेत में बीज बोने में मदद करने लगे
रामू ने पक्षी को ठीक होने तक अपने पास रखा। कुछ दिनों बाद पक्षी ठीक हो गया और उड़ने लायक हो गया। जब पक्षी ने उड़ने की कोशिश की, तो वह रामू के चारों ओर चक्कर लगाने लगा, जैसे उसे धन्यवाद कह रहा हो। रामू ने मुस्कुराते हुए उसे विदा किया और अपने काम में लग गया।
रामू ने पक्षी को ठीक होने तक अपने पास रखा। कुछ दिनों बाद पक्षी ठीक हो गया और उड़ने लायक हो गया। जब पक्षी ने उड़ने की कोशिश की, तो वह रामू के चारों ओर चक्कर लगाने लगा, जैसे उसे धन्यवाद कह रहा हो। रामू ने मुस्कुराते हुए उसे विदा किया और अपने काम में लग गया।
रामू ने पक्षी को ठीक होने तक अपने पास रखा। कुछ दिनों बाद पक्षी ठीक हो गया और उड़ने लायक हो गया। जब पक्षी ने उड़ने की कोशिश की, तो वह रामू के चारों ओर चक्कर लगाने लगा, जैसे उसे धन्यवाद कह रहा हो। रामू ने मुस्कुराते हुए उसे विदा किया और अपने काम में लग गया।
एक बार एक छोटे से गाँव में एक गरीब किसान रहता था जिसका नाम रामू था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी। एक दिन रामू अपने खेत में काम कर रहा था, तभी उसने खेत के किनारे एक घायल पक्षी देखा। पक्षी उड़ने में असमर्थ था और दर्द से कराह रहा था। रामू को उस पर बहुत दया आई। उसने पक्षी को उठाया, उसे अपने घर ले गया और उसकी देखभाल करने लगा।
एक बार एक छोटे से गाँव में एक गरीब किसान रहता था जिसका नाम रामू था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी। एक दिन रामू अपने खेत में काम कर रहा था, तभी उसने खेत के किनारे एक घायल पक्षी देखा। पक्षी उड़ने में असमर्थ था और दर्द से कराह रहा था। रामू को उस पर बहुत दया आई। उसने पक्षी को उठाया, उसे अपने घर ले गया और उसकी देखभाल करने लगा।
शेर ने सोचा कि यह समझौता उसके लिए भी अच्छा है, क्योंकि उसे शिकार के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। उसने जानवरों की बात मान ली। अब रोज एक जानवर अपनी बारी आने पर शेर के पास जाने लगा, और शेर उसे खाकर संतुष्ट हो जाता।
शेर ने सोचा कि यह समझौता उसके लिए भी अच्छा है, क्योंकि उसे शिकार के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। उसने जानवरों की बात मान ली। अब रोज एक जानवर अपनी बारी आने पर शेर के पास जाने लगा, और शेर उसे खाकर संतुष्ट हो जाता।
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। वह रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और बिना किसी कारण के उन्हें मार डालता। इससे जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान थे। उन्होंने शेर के पास जाकर विनती की, "हे जंगल के राजा, कृपया हर दिन हमें मत मारो। हम रोज एक जानवर को खुद तुम्हारे पास भेज देंगे ताकि तुम उसे खा सको।"