एक दिन, ब्राह्मण जंगल में लकड़ी काट रहे थे। अचानक उन्हें एक सोने की बाल्टी मिली। ब्राह्मण ने सोचा कि यह बहुत अच्छा मौका है और उन्होंने सोने की बाल्टी अपने घर ले जाने का निर्णय किया।**
एक दिन, ब्राह्मण जंगल में लकड़ी काट रहे थे। अचानक उन्हें एक सोने की बाल्टी मिली। ब्राह्मण ने सोचा कि यह बहुत अच्छा मौका है और उन्होंने सोने की बाल्टी अपने घर ले जाने का निर्णय किया।**
एक दिन, ब्राह्मण जंगल में लकड़ी काट रहे थे। अचानक उन्हें एक सोने की बाल्टी मिली। ब्राह्मण ने सोचा कि यह बहुत अच्छा मौका है और उन्होंने सोने की बाल्टी अपने घर ले जाने का निर्णय किया।**
**एक बार की बात है, एक गांव में एक वृद्ध ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। वे बहुत गरीब थे लेकिन बहुत सच्चे और ईमानदार लोग थे।**
**एक बार की बात है, एक गांव में एक वृद्ध ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। वे बहुत गरीब थे लेकिन बहुत सच्चे और ईमानदार लोग थे।**
**एक बार की बात है, एक गांव में एक वृद्ध ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। वे बहुत गरीब थे लेकिन बहुत सच्चे और ईमानदार लोग थे।**
उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।" मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।" मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।" मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।" मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।" मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।" मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
मुखिया ने लकड़हारे की ईमानदारी की सराहना की और संदूक को गांव में बांट दिया। गांववालों ने लकड़हारे की ईमानदारी को बहुत सराहा और उसे बहुत सारा सम्मान और प्यार मिला।
एक समय की बात है, एक गांव में एक बहुत ही ईमानदार लकड़हारा रहता था। वह हमेशा अपनी मेहनत और ईमानदारी से काम करता था। एक दिन, लकड़हारे ने जंगल में एक सोने की संदूक पाया। उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।"
एक समय की बात है, एक गांव में एक बहुत ही ईमानदार लकड़हारा रहता था। वह हमेशा अपनी मेहनत और ईमानदारी से काम करता था। एक दिन, लकड़हारे ने जंगल में एक सोने की संदूक पाया। उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।"
एक समय की बात है, एक गांव में एक बहुत ही ईमानदार लकड़हारा रहता था। वह हमेशा अपनी मेहनत और ईमानदारी से काम करता था। एक दिन, लकड़हारे ने जंगल में एक सोने की संदूक पाया। उसने सोने की संदूक को गांव के मुखिया को दिखाया और कहा, "मुखिया जी, मुझे यह संदूक जंगल में मिला है। मैं इसे आप के पास छोड़ रहा हूँ, इसे गांव के सभी लोगों में बांट देना।"
हाथी ने मुस्कराते हुए कहा, "मित्रता का मतलब ही एक-दूसरे की मदद करना और साथ निभाना है।"
हाथी ने मुस्कराते हुए कहा, "मित्रता का मतलब ही एक-दूसरे की मदद करना और साथ निभाना है।"
हाथी ने मुस्कराते हुए कहा, "मित्रता का मतलब ही एक-दूसरे की मदद करना और साथ निभाना है।"
हाथी ने मुस्कराते हुए कहा, "मित्रता का मतलब ही एक-दूसरे की मदद करना और साथ निभाना है।"
जब आग बुझी और दोनों सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए, तो बंदर ने हाथी से कहा, "तुम सच्चे मित्र हो। आज तुमने मेरी जान बचाकर हमारी मित्रता की असली पहचान करवाई है।"
जब आग बुझी और दोनों सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए, तो बंदर ने हाथी से कहा, "तुम सच्चे मित्र हो। आज तुमने मेरी जान बचाकर हमारी मित्रता की असली पहचान करवाई है।"
जब आग बुझी और दोनों सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए, तो बंदर ने हाथी से कहा, "तुम सच्चे मित्र हो। आज तुमने मेरी जान बचाकर हमारी मित्रता की असली पहचान करवाई है।"
हाथी ने बिना एक पल की देर किए अपनी लंबी सूंड से बंदर को उठाकर अपनी पीठ पर बिठा लिया और दोनों जंगल से सुरक्षित बाहर निकल आए।
हाथी ने बिना एक पल की देर किए अपनी लंबी सूंड से बंदर को उठाकर अपनी पीठ पर बिठा लिया और दोनों जंगल से सुरक्षित बाहर निकल आए।
हाथी ने बिना एक पल की देर किए अपनी लंबी सूंड से बंदर को उठाकर अपनी पीठ पर बिठा लिया और दोनों जंगल से सुरक्षित बाहर निकल आए।
हाथी ने बिना एक पल की देर किए अपनी लंबी सूंड से बंदर को उठाकर अपनी पीठ पर बिठा लिया और दोनों जंगल से सुरक्षित बाहर निकल आए।
बंदर ने हाथी से मदद की गुहार लगाई, "मित्र, मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो, वरना मैं इस आग में फंस जाऊंगा।"
बंदर ने हाथी से मदद की गुहार लगाई, "मित्र, मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो, वरना मैं इस आग में फंस जाऊंगा।"
बंदर ने हाथी से मदद की गुहार लगाई, "मित्र, मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो, वरना मैं इस आग में फंस जाऊंगा।"
एक दिन जंगल में भयंकर आग लग गई। सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। बंदर और हाथी भी आग से बचने के लिए भागने लगे। हाथी की लंबी टांगे और मज़बूत शरीर होने की वजह से वह जल्दी-जल्दी भाग सकता था, जबकि बंदर छोटे कद का था और आग से बचने के लिए पेड़ों पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आग इतनी तेज़ी से फैल रही थी कि पेड़ भी जलने लगे।
एक दिन जंगल में भयंकर आग लग गई। सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। बंदर और हाथी भी आग से बचने के लिए भागने लगे। हाथी की लंबी टांगे और मज़बूत शरीर होने की वजह से वह जल्दी-जल्दी भाग सकता था, जबकि बंदर छोटे कद का था और आग से बचने के लिए पेड़ों पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आग इतनी तेज़ी से फैल रही थी कि पेड़ भी जलने लगे।
एक दिन जंगल में भयंकर आग लग गई। सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। बंदर और हाथी भी आग से बचने के लिए भागने लगे। हाथी की लंबी टांगे और मज़बूत शरीर होने की वजह से वह जल्दी-जल्दी भाग सकता था, जबकि बंदर छोटे कद का था और आग से बचने के लिए पेड़ों पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आग इतनी तेज़ी से फैल रही थी कि पेड़ भी जलने लगे।
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में दो मित्र रहते थे—एक था बंदर और दूसरा था हाथी। दोनों की गहरी दोस्ती थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद किया करते थे। जंगल के सभी जानवर उनकी मित्रता की मिसाल दिया करते थे।