बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। वह रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और बिना किसी कारण के उन्हें मार डालता। इससे जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान थे। उन्होंने शेर के पास जाकर विनती की, "हे जंगल के राजा, कृपया हर दिन हमें मत मारो। हम रोज एक जानवर को खुद तुम्हारे पास भेज देंगे ताकि तुम उसे खा सको।"
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। वह रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और बिना किसी कारण के उन्हें मार डालता। इससे जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान थे। उन्होंने शेर के पास जाकर विनती की, "हे जंगल के राजा, कृपया हर दिन हमें मत मारो। हम रोज एक जानवर को खुद तुम्हारे पास भेज देंगे ताकि तुम उसे खा सको।"
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। वह रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और बिना किसी कारण के उन्हें मार डालता। इससे जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान थे। उन्होंने शेर के पास जाकर विनती की, "हे जंगल के राजा, कृपया हर दिन हमें मत मारो। हम रोज एक जानवर को खुद तुम्हारे पास भेज देंगे ताकि तुम उसे खा सको।"
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक क्रूर शेर रहता था। वह रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और बिना किसी कारण के उन्हें मार डालता। इससे जंगल के सभी जानवर बहुत परेशान थे। उन्होंने शेर के पास जाकर विनती की, "हे जंगल के राजा, कृपया हर दिन हमें मत मारो। हम रोज एक जानवर को खुद तुम्हारे पास भेज देंगे ताकि तुम उसे खा सको।"
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक कौआ रहता था। एक दिन उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस रोटी के टुकड़े को अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक कौआ रहता था। एक दिन उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस रोटी के टुकड़े को अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
एक समय की बात है, एक गाँव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। रामू बहुत ईमानदार और मेहनती था, लेकिन गरीबी के कारण उसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। एक दिन वह खेत में काम कर रहा था, तभी उसे एक चमकदार पत्थर मिला। रामू ने उसे उठाकर देखा तो वह एक बड़ा ही अनमोल हीरा था।
एक समय की बात है, एक गाँव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। रामू बहुत ईमानदार और मेहनती था, लेकिन गरीबी के कारण उसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। एक दिन वह खेत में काम कर रहा था, तभी उसे एक चमकदार पत्थर मिला। रामू ने उसे उठाकर देखा तो वह एक बड़ा ही अनमोल हीरा था।
एक समय की बात है, एक गाँव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। रामू बहुत ईमानदार और मेहनती था, लेकिन गरीबी के कारण उसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। एक दिन वह खेत में काम कर रहा था, तभी उसे एक चमकदार पत्थर मिला। रामू ने उसे उठाकर देखा तो वह एक बड़ा ही अनमोल हीरा था।
एक दिन उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस रोटी के टुकड़े को अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा
एक दिन उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस रोटी के टुकड़े को अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा
एक दिन उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस रोटी के टुकड़े को अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा
लोमड़ी ने कौए से कहा, "अरे कौए भाई, मैंने सुना है कि तुम्हारी आवाज बहुत प्यारी है। क्या तुम मेरे लिए एक सुंदर गाना गाओगे?"
लोमड़ी ने कौए से कहा, "अरे कौए भाई, मैंने सुना है कि तुम्हारी आवाज बहुत प्यारी है। क्या तुम मेरे लिए एक सुंदर गाना गाओगे?"
लोमड़ी ने कौए से कहा, "अरे कौए भाई, मैंने सुना है कि तुम्हारी आवाज बहुत प्यारी है। क्या तुम मेरे लिए एक सुंदर गाना गाओगे?"
अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक कौआ रहता था। एक दिन उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस रोटी के टुकड़े को अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक कौआ रहता था। एक दिन उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस रोटी के टुकड़े को अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
एक समय की बात है, एक घने जंगल में एक कौआ रहता था। एक दिन उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उस रोटी के टुकड़े को अपनी चोंच में दबाकर एक पेड़ की शाखा पर जा बैठा। तभी एक चालाक लोमड़ी वहां से गुजरी। उसने कौए के पास रोटी देखी और उसकी लालच बढ़ गई। उसने सोचा, "किसी तरह इस कौए से रोटी छीननी होगी।"
बिल्लियाँ एक-दूसरे को देखते रह गईं और उनकी रोटी बंदर खा गया।
बिल्लियाँ एक-दूसरे को देखते रह गईं और उनकी रोटी बंदर खा गया।
बिल्लियाँ एक-दूसरे को देखते रह गईं और उनकी रोटी बंदर खा गया।
बंदर ने रोटी को दो हिस्सों में तोड़ा, लेकिन जानबूझकर एक हिस्सा बड़ा और एक छोटा कर दिया। फिर वह बोला, "अरे, ये तो बराबर नहीं हुए।" और वह बड़ा हिस्सा थोड़ा सा खा गया ताकि दोनों हिस्से बराबर हो जाएं। लेकिन फिर दूसरा हिस्सा बड़ा हो गया। इस प्रकार, वह एक-एक करके रोटी खाता गया, जब तक कि पूरी रोटी खत्म नहीं हो गई।
बंदर ने रोटी को दो हिस्सों में तोड़ा, लेकिन जानबूझकर एक हिस्सा बड़ा और एक छोटा कर दिया। फिर वह बोला, "अरे, ये तो बराबर नहीं हुए।" और वह बड़ा हिस्सा थोड़ा सा खा गया ताकि दोनों हिस्से बराबर हो जाएं। लेकिन फिर दूसरा हिस्सा बड़ा हो गया। इस प्रकार, वह एक-एक करके रोटी खाता गया, जब तक कि पूरी रोटी खत्म नहीं हो गई।
बंदर ने रोटी को दो हिस्सों में तोड़ा, लेकिन जानबूझकर एक हिस्सा बड़ा और एक छोटा कर दिया। फिर वह बोला, "अरे, ये तो बराबर नहीं हुए।" और वह बड़ा हिस्सा थोड़ा सा खा गया ताकि दोनों हिस्से बराबर हो जाएं। लेकिन फिर दूसरा हिस्सा बड़ा हो गया। इस प्रकार, वह एक-एक करके रोटी खाता गया, जब तक कि पूरी रोटी खत्म नहीं हो गई।
बंदर ने रोटी को दो हिस्सों में तोड़ा, लेकिन जानबूझकर एक हिस्सा बड़ा और एक छोटा कर दिया। फिर वह बोला, "अरे, ये तो बराबर नहीं हुए।" और वह बड़ा हिस्सा थोड़ा सा खा गया ताकि दोनों हिस्से बराबर हो जाएं। लेकिन फिर दूसरा हिस्सा बड़ा हो गया। इस प्रकार, वह एक-एक करके रोटी खाता गया, जब तक कि पूरी रोटी खत्म नहीं हो गई।
बंदर ने रोटी को दो हिस्सों में तोड़ा, लेकिन जानबूझकर एक हिस्सा बड़ा और एक छोटा कर दिया। फिर वह बोला, "अरे, ये तो बराबर नहीं हुए।" और वह बड़ा हिस्सा थोड़ा सा खा गया ताकि दोनों हिस्से बराबर हो जाएं। लेकिन फिर दूसरा हिस्सा बड़ा हो गया। इस प्रकार, वह एक-एक करके रोटी खाता गया, जब तक कि पूरी रोटी खत्म नहीं हो गई।
बंदर ने बिल्लियों से कहा, "तुम दोनों क्यों झगड़ रही हो? मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बांट देता हूँ।" बिल्लियों ने सोचा कि यह सही रहेगा और वे बंदर की बात मान गईं।
बंदर ने बिल्लियों से कहा, "तुम दोनों क्यों झगड़ रही हो? मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बांट देता हूँ।" बिल्लियों ने सोचा कि यह सही रहेगा और वे बंदर की बात मान गईं।
बंदर ने बिल्लियों से कहा, "तुम दोनों क्यों झगड़ रही हो? मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बांट देता हूँ।" बिल्लियों ने सोचा कि यह सही रहेगा और वे बंदर की बात मान गईं।
बंदर ने बिल्लियों से कहा, "तुम दोनों क्यों झगड़ रही हो? मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बांट देता हूँ।" बिल्लियों ने सोचा कि यह सही रहेगा और वे बंदर की बात मान गईं।
उसी समय, एक चालाक बंदर वहाँ से गुजरा। उसने बिल्लियों का झगड़ा देखा और सोचा, "यह मौका अच्छा है, मैं इन्हें मूर्ख बनाकर रोटी खा सकता हूँ
उसी समय, एक चालाक बंदर वहाँ से गुजरा। उसने बिल्लियों का झगड़ा देखा और सोचा, "यह मौका अच्छा है, मैं इन्हें मूर्ख बनाकर रोटी खा सकता हूँ
उसी समय, एक चालाक बंदर वहाँ से गुजरा। उसने बिल्लियों का झगड़ा देखा और सोचा, "यह मौका अच्छा है, मैं इन्हें मूर्ख बनाकर रोटी खा सकता हूँ