सुबह होते-होते जंगल से बाहर निकलना: दृश्य में सुबह की हल्की रोशनी दिख रही है, और जंगल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो रहा है। पाँच दोस्त, विवेक, अर्जुन, सोनू, निशांत और दीपक ने एक-दूसरे का हाथ मजबूती से पकड़ा हुआ है और वे तेजी से जंगल से बाहर निकल रहे हैं। उनके चेहरों पर थकावट, डर, और राहत के मिश्रित भाव हैं। निशांत पीछे खड़ा है, और उसकी हालत अभी भी असामान्य है।
सुबह होते-होते जंगल से बाहर निकलना: दृश्य में सुबह की हल्की रोशनी दिख रही है, और जंगल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो रहा है। पाँच दोस्त, विवेक, अर्जुन, सोनू, निशांत और दीपक ने एक-दूसरे का हाथ मजबूती से पकड़ा हुआ है और वे तेजी से जंगल से बाहर निकल रहे हैं। उनके चेहरों पर थकावट, डर, और राहत के मिश्रित भाव हैं। निशांत पीछे खड़ा है, और उसकी हालत अभी भी असामान्य है।
सुबह होते-होते जंगल से बाहर निकलना: दृश्य में सुबह की हल्की रोशनी दिख रही है, और जंगल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो रहा है। पाँच दोस्त, विवेक, अर्जुन, सोनू, निशांत और दीपक ने एक-दूसरे का हाथ मजबूती से पकड़ा हुआ है और वे तेजी से जंगल से बाहर निकल रहे हैं। उनके चेहरों पर थकावट, डर, और राहत के मिश्रित भाव हैं। निशांत पीछे खड़ा है, और उसकी हालत अभी भी असामान्य है।
निशांत का मानसिक उपचार: अंतिम दृश्य में निशांत एक अस्पताल के कमरे में बैठा है, उसके चेहरे पर अब भी वही अजीब और खालीपन भरा भाव है। डॉक्टर उसके साथ बैठे हैं और उसकी मानसिक हालत की जाँच कर रहे हैं। उसके दोस्तों के चेहरे पर चिंता और उदासी के भाव हैं। निशांत अब भी उस रात के बारे में कुछ नहीं कह रहा है।
निशांत का मानसिक उपचार: अंतिम दृश्य में निशांत एक अस्पताल के कमरे में बैठा है, उसके चेहरे पर अब भी वही अजीब और खालीपन भरा भाव है। डॉक्टर उसके साथ बैठे हैं और उसकी मानसिक हालत की जाँच कर रहे हैं। उसके दोस्तों के चेहरे पर चिंता और उदासी के भाव हैं। निशांत अब भी उस रात के बारे में कुछ नहीं कह रहा है।
निशांत का हाथ छुड़ाना और अजीब आवाज निकालना: निशांत अचानक अपना हाथ छुड़ाकर खड़ा हो गया है। उसके मुँह से अजीब, फुसफुसाहट जैसी आवाजें निकल रही हैं, जो बिल्कुल भी इंसानी नहीं लग रही हैं। उसके चेहरे पर गहरी भयावहता और अजीब भाव हैं। बाकी दोस्त उसके चारों ओर खड़े होकर उसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सबके चेहरे पर डर और बेचैनी के भाव साफ दिखाई दे रहे हैं।
निशांत का हाथ छुड़ाना और अजीब आवाज निकालना: निशांत अचानक अपना हाथ छुड़ाकर खड़ा हो गया है। उसके मुँह से अजीब, फुसफुसाहट जैसी आवाजें निकल रही हैं, जो बिल्कुल भी इंसानी नहीं लग रही हैं। उसके चेहरे पर गहरी भयावहता और अजीब भाव हैं। बाकी दोस्त उसके चारों ओर खड़े होकर उसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सबके चेहरे पर डर और बेचैनी के भाव साफ दिखाई दे रहे हैं।
एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चलना: घने जंगल का दृश्य है, जिसमें हल्की धुंध फैली हुई है। सभी दोस्त एक-दूसरे का हाथ मजबूती से पकड़े हुए धीरे-धीरे जंगल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। उनके चेहरों पर घबराहट और थकान के भाव स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। अंधेरे और रहस्यमयी जंगल का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।
एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चलना: घने जंगल का दृश्य है, जिसमें हल्की धुंध फैली हुई है। सभी दोस्त एक-दूसरे का हाथ मजबूती से पकड़े हुए धीरे-धीरे जंगल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। उनके चेहरों पर घबराहट और थकान के भाव स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। अंधेरे और रहस्यमयी जंगल का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।
उसे पकड़कर हिलाया और पूछा, "तुम कहाँ थे
उसे पकड़कर हिलाया और पूछा, "तुम कहाँ थे
निशांत का अजीब व्यवहार: निशांत के अजीब व्यवहार से सब और डर गए हैं। निशांत बार-बार "वह यहाँ है" कहता जा रहा है, और उसकी आँखों में भयंकर डर दिखाई दे रहा है। उसकी आवाज कमजोर है, लेकिन उसमें कुछ ऐसा है, जो बाकी सभी दोस्तों को और भी ज्यादा बेचैन कर रहा है। विवेक ने चिंता से अपने माथे पर हाथ रखा हुआ है, जबकि दीपक और सोनू घबराहट में इधर-उधर देख रहे हैं।
निशांत का अजीब व्यवहार: निशांत के अजीब व्यवहार से सब और डर गए हैं। निशांत बार-बार "वह यहाँ है" कहता जा रहा है, और उसकी आँखों में भयंकर डर दिखाई दे रहा है। उसकी आवाज कमजोर है, लेकिन उसमें कुछ ऐसा है, जो बाकी सभी दोस्तों को और भी ज्यादा बेचैन कर रहा है। विवेक ने चिंता से अपने माथे पर हाथ रखा हुआ है, जबकि दीपक और सोनू घबराहट में इधर-उधर देख रहे हैं।
विवेक का सलाह देना: "हमें यहाँ से तुरंत निकलना होगा": विवेक ने गंभीर चेहरा बनाते हुए सबको सलाह दी, "हमें यहाँ से तुरंत निकलना होगा। यह जगह श्रापित है।" उसके चेहरे पर डर और चिंता के भाव साफ दिखाई दे रहे हैं। बाकी दोस्त उसकी बात सुनते हुए चिंतित लग रहे हैं, और सभी की निगाहें निशांत पर टिकी हैं, जो अभी भी घबराहट में खड़ा है।
विवेक का सलाह देना: "हमें यहाँ से तुरंत निकलना होगा": विवेक ने गंभीर चेहरा बनाते हुए सबको सलाह दी, "हमें यहाँ से तुरंत निकलना होगा। यह जगह श्रापित है।" उसके चेहरे पर डर और चिंता के भाव साफ दिखाई दे रहे हैं। बाकी दोस्त उसकी बात सुनते हुए चिंतित लग रहे हैं, और सभी की निगाहें निशांत पर टिकी हैं, जो अभी भी घबराहट में खड़ा है।
"निशांत के इस अजीब व्यवहार से बाकी सब और डर गए। विवेक ने सबको कहा, "हमें यहाँ से तुरंत निकलना होगा। यह जगह श्रापित है
जब दोस्तों ने उसे पूछा कि वह कहाँ था, तो वह चुपचाप उन्हें देखता रहा, जैसे उसे कुछ याद नहीं आ रहा हो। उसने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। अर्जुन ने उसे पकड़कर हिलाया और पूछा, "तुम कहाँ थे?" लेकिन वह एक ही जवाब देता रहा, "वह यहाँ है।"
जब दोस्तों ने उसे पूछा कि वह कहाँ था, तो वह चुपचाप उन्हें देखता रहा, जैसे उसे कुछ याद नहीं आ रहा हो। उसने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। अर्जुन ने उसे पकड़कर हिलाया और पूछा, "तुम कहाँ थे?" लेकिन वह एक ही जवाब देता रहा, "वह यहाँ है।"
निशांत की वापसी तभी अचानक से, निशांत पास के एक पेड़ के पीछे से निकलकर आता हुआ दिखा। वह बेहद डरा हुआ और घबराया हुआ था। उसकी आँखें लाल थीं और शरीर थरथरा रहा था।
निशांत की वापसी तभी अचानक से, निशांत पास के एक पेड़ के पीछे से निकलकर आता हुआ दिखा। वह बेहद डरा हुआ और घबराया हुआ था। उसकी आँखें लाल थीं और शरीर थरथरा रहा था।
ट्रेन का आखिरी आगमन कई महीनों तक वह ट्रेन नहीं दिखाई दी। सुरेश के गायब होने के बाद स्टेशन पर लोग रात को ज्यादा देर नहीं रुकते थे
ट्रेन का आखिरी आगमन कई महीनों तक वह ट्रेन नहीं दिखाई दी। सुरेश के गायब होने के बाद स्टेशन पर लोग रात को ज्यादा देर नहीं रुकते थे
सुरेश का स्टेशन से बाहर निकल जाना: सुरेश बिना किसी संवाद या प्रतिक्रिया के धीरे-धीरे स्टेशन से बाहर निकल रहा है। उसके कदम बेहद धीमे हैं और चेहरा भावशून्य। कैमरे की रिकॉर्डिंग में उसे स्टेशन से बाहर जाते हुए देखा जा सकता है। वह धीरे-धीरे कैमरे के दायरे से बाहर निकल जाता है, और स्टेशन पर सिर्फ ठंडा कोहरा और सन्नाटा रह जाता है। दृश्य में गहरा रहस्य और भय स्पष्ट है।
सुरेश का स्टेशन से बाहर निकल जाना: सुरेश बिना किसी संवाद या प्रतिक्रिया के धीरे-धीरे स्टेशन से बाहर निकल रहा है। उसके कदम बेहद धीमे हैं और चेहरा भावशून्य। कैमरे की रिकॉर्डिंग में उसे स्टेशन से बाहर जाते हुए देखा जा सकता है। वह धीरे-धीरे कैमरे के दायरे से बाहर निकल जाता है, और स्टेशन पर सिर्फ ठंडा कोहरा और सन्नाटा रह जाता है। दृश्य में गहरा रहस्य और भय स्पष्ट है।
सीसीटीवी कैमरे में सुरेश का उतरना: सीसीटीवी फुटेज का दृश्य, जिसमें सुरेश ट्रेन के दरवाजे से धीरे-धीरे उतर रहा है। सुरेश का चेहरा बेहद अजीब और भावशून्य है, उसकी आंखें खाली हैं, जैसे उसमें कोई भावना नहीं बची हो। ट्रेन का दरवाजा अपने आप खुला हुआ है, और सुरेश धीरे-धीरे प्लेटफार्म पर उतरकर बिना किसी संवाद के आगे बढ़ रहा है। कैमरे की धुंधली फुटेज में उसका चेहरा और अधिक रहस्यमयी और डरावना दिखाई दे रहा है।
सीसीटीवी कैमरे में सुरेश का उतरना: सीसीटीवी फुटेज का दृश्य, जिसमें सुरेश ट्रेन के दरवाजे से धीरे-धीरे उतर रहा है। सुरेश का चेहरा बेहद अजीब और भावशून्य है, उसकी आंखें खाली हैं, जैसे उसमें कोई भावना नहीं बची हो। ट्रेन का दरवाजा अपने आप खुला हुआ है, और सुरेश धीरे-धीरे प्लेटफार्म पर उतरकर बिना किसी संवाद के आगे बढ़ रहा है। कैमरे की धुंधली फुटेज में उसका चेहरा और अधिक रहस्यमयी और डरावना दिखाई दे रहा है।
मनोज का दूर से ट्रेन को देखते हुए डरा हुआ होना: मनोज एक कोने में खड़ा है, ट्रेन को देखकर उसके चेहरे पर डर और अनिश्चितता के भाव साफ दिखाई दे रहे हैं। वह ट्रेन के पास जाने से हिचकिचा रहा है और दूर से ही खड़ा है। उसके चेहरे पर गहरी चिंता और असमंजस की भावनाएं हैं। उसके चारों ओर ठंड और कोहरे का माहौल बना हुआ है, जो दृश्य को और भी रहस्यमय बनाता है।
मनोज का दूर से ट्रेन को देखते हुए डरा हुआ होना: मनोज एक कोने में खड़ा है, ट्रेन को देखकर उसके चेहरे पर डर और अनिश्चितता के भाव साफ दिखाई दे रहे हैं। वह ट्रेन के पास जाने से हिचकिचा रहा है और दूर से ही खड़ा है। उसके चेहरे पर गहरी चिंता और असमंजस की भावनाएं हैं। उसके चारों ओर ठंड और कोहरे का माहौल बना हुआ है, जो दृश्य को और भी रहस्यमय बनाता है।
सर्दी की ठंडी रात में ट्रेन का फिर से स्टेशन पर आना: स्टेशन पर ठंडी सर्दी का मौसम है, चारों ओर हल्का कोहरा फैला हुआ है। रात का अंधेरा और ठंड का अहसास वातावरण में साफ महसूस हो रहा है। वही पुरानी रहस्यमयी ट्रेन स्टेशन पर आकर रुकी है। स्टेशन की हल्की रोशनी ट्रेन पर पड़ रही है, जिससे ट्रेन का अजीब और रहस्यमयी स्वरूप उभरकर सामने आ रहा है।
सर्दी की ठंडी रात में ट्रेन का फिर से स्टेशन पर आना: स्टेशन पर ठंडी सर्दी का मौसम है, चारों ओर हल्का कोहरा फैला हुआ है। रात का अंधेरा और ठंड का अहसास वातावरण में साफ महसूस हो रहा है। वही पुरानी रहस्यमयी ट्रेन स्टेशन पर आकर रुकी है। स्टेशन की हल्की रोशनी ट्रेन पर पड़ रही है, जिससे ट्रेन का अजीब और रहस्यमयी स्वरूप उभरकर सामने आ रहा है।
मनोज के पास कोई विकल्प नहीं था।
मनोज के पास कोई विकल्प नहीं था।
मनोज ने जब देखा कि ट्रेन चल पड़ी है और सुरेश अंदर है, तो वह घबरा गया। उसने ट्रेन को रोकने की कोशिश की, लेकिन ट्रेन बिना किसी ड्राइवर के तेज़ी से आगे बढ़ रही थी
मनोज ने जब देखा कि ट्रेन चल पड़ी है और सुरेश अंदर है, तो वह घबरा गया। उसने ट्रेन को रोकने की कोशिश की, लेकिन ट्रेन बिना किसी ड्राइवर के तेज़ी से आगे बढ़ रही थी
सुरेश का गायब हो जाना और स्टेशन के कर्मचारियों का चिंता में होना: स्टेशन के अन्य कर्मचारी इस घटना के बारे में चर्चा कर रहे हैं। सभी के चेहरे पर चिंता और असमंजस की भावनाएं हैं। सुरेश के अचानक गायब हो जाने से सभी स्तब्ध और परेशान हैं। स्टेशन के वातावरण में गहरा रहस्य और तनाव छाया हुआ है, और सभी कर्मचारी एक-दूसरे से बात करते हुए अजीब माहौल में खड़े हैं।
सुरेश का गायब हो जाना और स्टेशन के कर्मचारियों का चिंता में होना: स्टेशन के अन्य कर्मचारी इस घटना के बारे में चर्चा कर रहे हैं। सभी के चेहरे पर चिंता और असमंजस की भावनाएं हैं। सुरेश के अचानक गायब हो जाने से सभी स्तब्ध और परेशान हैं। स्टेशन के वातावरण में गहरा रहस्य और तनाव छाया हुआ है, और सभी कर्मचारी एक-दूसरे से बात करते हुए अजीब माहौल में खड़े हैं।
रेलवे अधिकारियों का स्टेशन पर पहुंचना: रेलवे अधिकारी स्टेशन पर पहुंचे हैं। स्टेशन पर हलचल है, लेकिन ट्रेन और सुरेश दोनों गायब हैं। मनोज रेलवे अधिकारियों को घटना के बारे में बता रहा है। अधिकारियों के चेहरों पर चिंता और आश्चर्य के भाव हैं, जबकि मनोज का चेहरा चिंता और भय से भरा हुआ है। कोहरे के बीच स्टेशन का दृश्य बेहद रहस्यमयी लग रहा है।