जादुई जंगल की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव के पास एक घना जंगल था। उस जंगल के बारे में कहा जाता था कि वहां पर जादूई शक्तियां रहती हैं। गांव के बच्चे उस जंगल में खेलने के लिए हमेशा उत्साहित रहते थे, लेकिन बड़े लोग उन्हें वहां जाने से मना करते थे।
जादुई जंगल की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव के पास एक घना जंगल था। उस जंगल के बारे में कहा जाता था कि वहां पर जादूई शक्तियां रहती हैं। गांव के बच्चे उस जंगल में खेलने के लिए हमेशा उत्साहित रहते थे, लेकिन बड़े लोग उन्हें वहां जाने से मना करते थे।
जादुई जंगल की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव के पास एक घना जंगल था। उस जंगल के बारे में कहा जाता था कि वहां पर जादूई शक्तियां रहती हैं। गांव के बच्चे उस जंगल में खेलने के लिए हमेशा उत्साहित रहते थे, लेकिन बड़े लोग उन्हें वहां जाने से मना करते थे।
रात के समय जब तेज़ हवा चली, तो सारे सोने के दीपक एक-एक करके बुझ गए, लेकिन मिट्टी का दीपक अपनी छोटी सी लौ के साथ लगातार जलता रहा। राजा ने यह देखा और मिट्टी के दीपक की प्रशंसा की।
रात के समय जब तेज़ हवा चली, तो सारे सोने के दीपक एक-एक करके बुझ गए, लेकिन मिट्टी का दीपक अपनी छोटी सी लौ के साथ लगातार जलता रहा। राजा ने यह देखा और मिट्टी के दीपक की प्रशंसा की।
राजा ने कहा, "सच्ची रोशनी का स्रोत केवल बाहर की चमक में नहीं होता, बल्कि भीतर की सच्चाई और साहस में होता है।" और साहस में होता है।" **कथा की शिक्षा:** अपनी सादगी और विनम्रता को कभी कम नहीं समझना चाहिए। बाहरी चमक-दमक की बजाय, आंतरिक गुण और दृढ़ता अधिक मूल्यवान होते हैं।
राजा ने कहा, "सच्ची रोशनी का स्रोत केवल बाहर की चमक में नहीं होता, बल्कि भीतर की सच्चाई और साहस में होता है।" और साहस में होता है।" **कथा की शिक्षा:** अपनी सादगी और विनम्रता को कभी कम नहीं समझना चाहिए। बाहरी चमक-दमक की बजाय, आंतरिक गुण और दृढ़ता अधिक मूल्यवान होते हैं।
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रात के समय जब तेज़ हवा चली, तो सारे सोने के दीपक एक-एक करके बुझ गए, लेकिन मिट्टी का दीपक अपनी छोटी सी लौ के साथ लगातार जलता रहा। राजा ने यह देखा और मिट्टी के दीपक की प्रशंसा की।
रात के समय जब तेज़ हवा चली, तो सारे सोने के दीपक एक-एक करके बुझ गए, लेकिन मिट्टी का दीपक अपनी छोटी सी लौ के साथ लगातार जलता रहा। राजा ने यह देखा और मिट्टी के दीपक की प्रशंसा की।
मिट्टी का दीपक यह सुनकर शांत रहा और विनम्रता से बोला, "मुझे मेरी मिट्टी से कोई शिकायत नहीं है। मैं जो हूँ, वही हूँ। मेरी कीमत भले ही कम हो, लेकिन मैं भी उतनी ही रोशनी देता हूँ जितनी तुम सब।"
मिट्टी का दीपक यह सुनकर शांत रहा और विनम्रता से बोला, "मुझे मेरी मिट्टी से कोई शिकायत नहीं है। मैं जो हूँ, वही हूँ। मेरी कीमत भले ही कम हो, लेकिन मैं भी उतनी ही रोशनी देता हूँ जितनी तुम सब।"
मिट्टी का दीपक यह सुनकर शांत रहा और विनम्रता से बोला, "मुझे मेरी मिट्टी से कोई शिकायत नहीं है। मैं जो हूँ, वही हूँ। मेरी कीमत भले ही कम हो, लेकिन मैं भी उतनी ही रोशनी देता हूँ जितनी तुम सब।"
मिट्टी का दीपक यह सुनकर शांत रहा और विनम्रता से बोला, "मुझे मेरी मिट्टी से कोई शिकायत नहीं है। मैं जो हूँ, वही हूँ। मेरी कीमत भले ही कम हो, लेकिन मैं भी उतनी ही रोशनी देता हूँ जितनी तुम सब।"
मिट्टी का दीपक यह सुनकर शांत रहा और विनम्रता से बोला, "मुझे मेरी मिट्टी से कोई शिकायत नहीं है। मैं जो हूँ, वही हूँ। मेरी कीमत भले ही कम हो, लेकिन मैं भी उतनी ही रोशनी देता हूँ जितनी तुम सब।"
मिट्टी का दीपक यह सुनकर शांत रहा और विनम्रता से बोला, "मुझे मेरी मिट्टी से कोई शिकायत नहीं है। मैं जो हूँ, वही हूँ। मेरी कीमत भले ही कम हो, लेकिन मैं भी उतनी ही रोशनी देता हूँ जितनी तुम सब।"
उसी महल के एक कोने में एक छोटा सा मिट्टी का दीपक भी जल रहा था। सोने के दीपकों ने उस मिट्टी के दीपक का मजाक उड़ाते हुए कहा, "तुम बहुत साधारण हो, तुम्हारी तो कोई कीमत भी नहीं है। तुम हमारे साथ यहाँ कैसे जल सकते हो?"
उसी महल के एक कोने में एक छोटा सा मिट्टी का दीपक भी जल रहा था। सोने के दीपकों ने उस मिट्टी के दीपक का मजाक उड़ाते हुए कहा, "तुम बहुत साधारण हो, तुम्हारी तो कोई कीमत भी नहीं है। तुम हमारे साथ यहाँ कैसे जल सकते हो?"
उसी महल के एक कोने में एक छोटा सा मिट्टी का दीपक भी जल रहा था। सोने के दीपकों ने उस मिट्टी के दीपक का मजाक उड़ाते हुए कहा, "तुम बहुत साधारण हो, तुम्हारी तो कोई कीमत भी नहीं है। तुम हमारे साथ यहाँ कैसे जल सकते हो?"
उसी महल के एक कोने में एक छोटा सा मिट्टी का दीपक भी जल रहा था। सोने के दीपकों ने उस मिट्टी के दीपक का मजाक उड़ाते हुए कहा, "तुम बहुत साधारण हो, तुम्हारी तो कोई कीमत भी नहीं है। तुम हमारे साथ यहाँ कैसे जल सकते हो?"
उसी महल के एक कोने में एक छोटा सा मिट्टी का दीपक भी जल रहा था। सोने के दीपकों ने उस मिट्टी के दीपक का मजाक उड़ाते हुए कहा, "तुम बहुत साधारण हो, तुम्हारी तो कोई कीमत भी नहीं है। तुम हमारे साथ यहाँ कैसे जल सकते हो?"
उसी महल के एक कोने में एक छोटा सा मिट्टी का दीपक भी जल रहा था। सोने के दीपकों ने उस मिट्टी के दीपक का मजाक उड़ाते हुए कहा, "तुम बहुत साधारण हो, तुम्हारी तो कोई कीमत भी नहीं है। तुम हमारे साथ यहाँ कैसे जल सकते हो?"
उसी महल के एक कोने में एक छोटा सा मिट्टी का दीपक भी जल रहा था। सोने के दीपकों ने उस मिट्टी के दीपक का मजाक उड़ाते हुए कहा, "तुम बहुत साधारण हो, तुम्हारी तो कोई कीमत भी नहीं है। तुम हमारे साथ यहाँ कैसे जल सकते हो?"
एक समय की बात है, एक राजा के महल में दीवाली का त्योहार मनाया जा रहा था। महल को शानदार रोशनी से सजाया गया था, और हर कोने में सोने के दीपक जल रहे थे। सोने के दीपक अपनी चमक-दमक पर बहुत गर्व कर रहे थे।
एक समय की बात है, एक राजा के महल में दीवाली का त्योहार मनाया जा रहा था। महल को शानदार रोशनी से सजाया गया था, और हर कोने में सोने के दीपक जल रहे थे। सोने के दीपक अपनी चमक-दमक पर बहुत गर्व कर रहे थे।
एक समय की बात है, एक राजा के महल में दीवाली का त्योहार मनाया जा रहा था। महल को शानदार रोशनी से सजाया गया था, और हर कोने में सोने के दीपक जल रहे थे। सोने के दीपक अपनी चमक-दमक पर बहुत गर्व कर रहे थे।
समुद्री मेंढक ने उत्तर दिया, “मैं समुद्र से आया हूँ।” कुएं में रहने वाले मेंढकों ने कभी समुद्र नहीं देखा था। वे सब आपस में खुसर-फुसुर करने लगे। मेंढकों के सरदार को भी कुछ समझ नहीं आया। उसने पूछा, “यह समुद्र क्या होता है?”
समुद्री मेंढक ने उत्तर दिया, “मैं समुद्र से आया हूँ।” कुएं में रहने वाले मेंढकों ने कभी समुद्र नहीं देखा था। वे सब आपस में खुसर-फुसुर करने लगे। मेंढकों के सरदार को भी कुछ समझ नहीं आया। उसने पूछा, “यह समुद्र क्या होता है?”
समुद्री मेंढक ने उत्तर दिया, “मैं समुद्र से आया हूँ।” कुएं में रहने वाले मेंढकों ने कभी समुद्र नहीं देखा था। वे सब आपस में खुसर-फुसुर करने लगे। मेंढकों के सरदार को भी कुछ समझ नहीं आया। उसने पूछा, “यह समुद्र क्या होता है?”
समुद्री मेंढक ने उत्तर दिया, “मैं समुद्र से आया हूँ।” कुएं में रहने वाले मेंढकों ने कभी समुद्र नहीं देखा था। वे सब आपस में खुसर-फुसुर करने लगे। मेंढकों के सरदार को भी कुछ समझ नहीं आया। उसने पूछा, “यह समुद्र क्या होता है?”