तारा ने लकड़हारे से पूछा, "तुम इतने उदास क्यों हो? क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूँ?" लकड़हारे ने अपनी सारी परेशानी तारा को बताई। तारा ने सोचा, "यह एक नेक दिल इंसान है। मुझे इसकी मदद करनी चाहिए।" तारा ने अपने जादुई फूल को लकड़हारे को दिया और कहा, "यह एक जादुई फूल है। इसे तुम अपनी पत्नी के पास ले जाओ और उसे कहो कि वह इस फूल को छुए। उसकी सारी बीमारी ठीक हो जाएगी। और तुम इसके पास बैठकर जो भी मनोकामना करोगे, वह पूरी हो जाएगी।"
तारा ने लकड़हारे से पूछा, "तुम इतने उदास क्यों हो? क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूँ?" लकड़हारे ने अपनी सारी परेशानी तारा को बताई। तारा ने सोचा, "यह एक नेक दिल इंसान है। मुझे इसकी मदद करनी चाहिए।" तारा ने अपने जादुई फूल को लकड़हारे को दिया और कहा, "यह एक जादुई फूल है। इसे तुम अपनी पत्नी के पास ले जाओ और उसे कहो कि वह इस फूल को छुए। उसकी सारी बीमारी ठीक हो जाएगी। और तुम इसके पास बैठकर जो भी मनोकामना करोगे, वह पूरी हो जाएगी।"
तारा ने लकड़हारे से पूछा, "तुम इतने उदास क्यों हो? क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूँ?" लकड़हारे ने अपनी सारी परेशानी तारा को बताई। तारा ने सोचा, "यह एक नेक दिल इंसान है। मुझे इसकी मदद करनी चाहिए।" तारा ने अपने जादुई फूल को लकड़हारे को दिया और कहा, "यह एक जादुई फूल है। इसे तुम अपनी पत्नी के पास ले जाओ और उसे कहो कि वह इस फूल को छुए। उसकी सारी बीमारी ठीक हो जाएगी। और तुम इसके पास बैठकर जो भी मनोकामना करोगे, वह पूरी हो जाएगी।"
एक दिन, उस जंगल में एक गरीब लकड़हारा भटकते हुए आया। वह बहुत परेशान था क्योंकि उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, और उसकी पत्नी बीमार थी। लकड़हारा उदास मन से जंगल में घूम रहा था, तभी तारा परी ने उसे देखा। तारा ने लकड़हारे की उदासी को महसूस किया और उसके पास गई।
एक दिन, उस जंगल में एक गरीब लकड़हारा भटकते हुए आया। वह बहुत परेशान था क्योंकि उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, और उसकी पत्नी बीमार थी। लकड़हारा उदास मन से जंगल में घूम रहा था, तभी तारा परी ने उसे देखा। तारा ने लकड़हारे की उदासी को महसूस किया और उसके पास गई।
एक दिन, उस जंगल में एक गरीब लकड़हारा भटकते हुए आया। वह बहुत परेशान था क्योंकि उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, और उसकी पत्नी बीमार थी। लकड़हारा उदास मन से जंगल में घूम रहा था, तभी तारा परी ने उसे देखा। तारा ने लकड़हारे की उदासी को महसूस किया और उसके पास गई।
एक दिन, उस जंगल में एक गरीब लकड़हारा भटकते हुए आया। वह बहुत परेशान था क्योंकि उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, और उसकी पत्नी बीमार थी। लकड़हारा उदास मन से जंगल में घूम रहा था, तभी तारा परी ने उसे देखा। तारा ने लकड़हारे की उदासी को महसूस किया और उसके पास गई।
एक दिन, उस जंगल में एक गरीब लकड़हारा भटकते हुए आया। वह बहुत परेशान था क्योंकि उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, और उसकी पत्नी बीमार थी। लकड़हारा उदास मन से जंगल में घूम रहा था, तभी तारा परी ने उसे देखा। तारा ने लकड़हारे की उदासी को महसूस किया और उसके पास गई।
एक दिन, उस जंगल में एक गरीब लकड़हारा भटकते हुए आया। वह बहुत परेशान था क्योंकि उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था, और उसकी पत्नी बीमार थी। लकड़हारा उदास मन से जंगल में घूम रहा था, तभी तारा परी ने उसे देखा। तारा ने लकड़हारे की उदासी को महसूस किया और उसके पास गई।
एक समय की बात है, एक सुंदर जंगल में परियों का एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में हर प्रकार की परियां रहती थीं, जो तरह-तरह के कामों में माहिर थीं। वहाँ की सबसे प्यारी परी का नाम तारा था। तारा की एक खासियत थी, उसके पास एक जादुई फूल था, जो सबकी मनोकामनाएं पूरी कर सकता था
एक समय की बात है, एक सुंदर जंगल में परियों का एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में हर प्रकार की परियां रहती थीं, जो तरह-तरह के कामों में माहिर थीं। वहाँ की सबसे प्यारी परी का नाम तारा था। तारा की एक खासियत थी, उसके पास एक जादुई फूल था, जो सबकी मनोकामनाएं पूरी कर सकता था
एक समय की बात है, एक सुंदर जंगल में परियों का एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में हर प्रकार की परियां रहती थीं, जो तरह-तरह के कामों में माहिर थीं। वहाँ की सबसे प्यारी परी का नाम तारा था। तारा की एक खासियत थी, उसके पास एक जादुई फूल था, जो सबकी मनोकामनाएं पूरी कर सकता था।
एक समय की बात है, एक सुंदर जंगल में परियों का एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में हर प्रकार की परियां रहती थीं, जो तरह-तरह के कामों में माहिर थीं। वहाँ की सबसे प्यारी परी का नाम तारा था। तारा की एक खासियत थी, उसके पास एक जादुई फूल था, जो सबकी मनोकामनाएं पूरी कर सकता था।
चतुर लोमड़ी और मूर्ख शेर" बहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था जिसमें एक भूखा शेर रहता था। शेर बहुत शक्तिशाली था, लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था और शिकार करने में कमजोर पड़ गया था। एक दिन शेर ने सोचा, "क्यों न किसी जानवर को बुलाकर उससे कहूं कि वह रोज एक जानवर मेरे खाने के लिए भेजे।"
चतुर लोमड़ी और मूर्ख शेर" बहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था जिसमें एक भूखा शेर रहता था। शेर बहुत शक्तिशाली था, लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था और शिकार करने में कमजोर पड़ गया था। एक दिन शेर ने सोचा, "क्यों न किसी जानवर को बुलाकर उससे कहूं कि वह रोज एक जानवर मेरे खाने के लिए भेजे।"
चतुर लोमड़ी और मूर्ख शेर" बहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था जिसमें एक भूखा शेर रहता था। शेर बहुत शक्तिशाली था, लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था और शिकार करने में कमजोर पड़ गया था। एक दिन शेर ने सोचा, "क्यों न किसी जानवर को बुलाकर उससे कहूं कि वह रोज एक जानवर मेरे खाने के लिए भेजे।"
चिंटू ने मासूमियत से पूछा, "चंदा मामा, आप इतनी दूर क्यों रहते हैं? क्या आप मेरे साथ नहीं खेल सकते?"
चिंटू ने मासूमियत से पूछा, "चंदा मामा, आप इतनी दूर क्यों रहते हैं? क्या आप मेरे साथ नहीं खेल सकते?"
चिंटू ने मासूमियत से पूछा, "चंदा मामा, आप इतनी दूर क्यों रहते हैं? क्या आप मेरे साथ नहीं खेल सकते?"
चिंटू ने मासूमियत से पूछा, "चंदा मामा, आप इतनी दूर क्यों रहते हैं? क्या आप मेरे साथ नहीं खेल सकते?"
चिंटू की प्यारी आवाज़ सुनकर चाँद मुस्कुराया और धीरे-धीरे धरती के करीब आ गया। चाँद ने चिंटू से कहा, "मैं तुम्हारे साथ हूँ, छोटे चिंटू। तुम क्यों मुझे बुला रहे हो?"
चिंटू की प्यारी आवाज़ सुनकर चाँद मुस्कुराया और धीरे-धीरे धरती के करीब आ गया। चाँद ने चिंटू से कहा, "मैं तुम्हारे साथ हूँ, छोटे चिंटू। तुम क्यों मुझे बुला रहे हो?"
चिंटू की प्यारी आवाज़ सुनकर चाँद मुस्कुराया और धीरे-धीरे धरती के करीब आ गया। चाँद ने चिंटू से कहा, "मैं तुम्हारे साथ हूँ, छोटे चिंटू। तुम क्यों मुझे बुला रहे हो?"
एक दिन, चिंटू ने तय किया कि वह चाँद से मिलने जाएगा। वह जंगल के सबसे ऊँचे पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया और वहाँ से चाँद को पुकारने लगा, "चंदा मामा! चंदा मामा!"
एक दिन, चिंटू ने तय किया कि वह चाँद से मिलने जाएगा। वह जंगल के सबसे ऊँचे पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया और वहाँ से चाँद को पुकारने लगा, "चंदा मामा! चंदा मामा!"
एक दिन, चिंटू ने तय किया कि वह चाँद से मिलने जाएगा। वह जंगल के सबसे ऊँचे पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया और वहाँ से चाँद को पुकारने लगा, "चंदा मामा! चंदा मामा!"
एक बार की बात है, एक छोटे से जंगल में एक नन्हा खरगोश रहता था। उसका नाम चिंटू था। चिंटू बहुत ही शरारती और उत्सुक था। वह हमेशा नई चीज़ों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता था। हर रात, वह आसमान में चमकते हुए चाँद को देखता और सोचता, "यह चाँद इतना उज्जवल और सुंदर क्यों है? क्या यह सच में मामा है?"
एक बार की बात है, एक छोटे से जंगल में एक नन्हा खरगोश रहता था। उसका नाम चिंटू था। चिंटू बहुत ही शरारती और उत्सुक था। वह हमेशा नई चीज़ों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता था। हर रात, वह आसमान में चमकते हुए चाँद को देखता और सोचता, "यह चाँद इतना उज्जवल और सुंदर क्यों है? क्या यह सच में मामा है?"
एक बार की बात है, एक छोटे से जंगल में एक नन्हा खरगोश रहता था। उसका नाम चिंटू था। चिंटू बहुत ही शरारती और उत्सुक था। वह हमेशा नई चीज़ों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता था। हर रात, वह आसमान में चमकते हुए चाँद को देखता और सोचता, "यह चाँद इतना उज्जवल और सुंदर क्यों है? क्या यह सच में मामा है?"
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में गीता और मोहन नाम के भाई-बहन रहते थे। गीता अपने भाई मोहन से बहुत प्यार करती थी और हर रक्षाबंधन पर वह मोहन की कलाई पर राखी बांधती थी। बदले में मोहन उसे उपहार देता और उसकी रक्षा करने का वचन भी देता।
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में गीता और मोहन नाम के भाई-बहन रहते थे। गीता अपने भाई मोहन से बहुत प्यार करती थी और हर रक्षाबंधन पर वह मोहन की कलाई पर राखी बांधती थी। बदले में मोहन उसे उपहार देता और उसकी रक्षा करने का वचन भी देता।
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में गीता और मोहन नाम के भाई-बहन रहते थे। गीता अपने भाई मोहन से बहुत प्यार करती थी और हर रक्षाबंधन पर वह मोहन की कलाई पर राखी बांधती थी। बदले में मोहन उसे उपहार देता और उसकी रक्षा करने का वचन भी देता।
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में गीता और मोहन नाम के भाई-बहन रहते थे। गीता अपने भाई मोहन से बहुत प्यार करती थी और हर रक्षाबंधन पर वह मोहन की कलाई पर राखी बांधती थी। बदले में मोहन उसे उपहार देता और उसकी रक्षा करने का वचन भी देता।
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में गीता और मोहन नाम के भाई-बहन रहते थे। गीता अपने भाई मोहन से बहुत प्यार करती थी और हर रक्षाबंधन पर वह मोहन की कलाई पर राखी बांधती थी। बदले में मोहन उसे उपहार देता और उसकी रक्षा करने का वचन भी देता।
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में गीता और मोहन नाम के भाई-बहन रहते थे। गीता अपने भाई मोहन से बहुत प्यार करती थी और हर रक्षाबंधन पर वह मोहन की कलाई पर राखी बांधती थी। बदले में मोहन उसे उपहार देता और उसकी रक्षा करने का वचन भी देता।
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में सोनू और मोनू नाम के दो भाई रहते थे। दोनों में बहुत प्यार था, लेकिन समय के साथ उनके बीच मतभेद होने लगे। छोटी-छोटी बातों पर वे झगड़ने लगे और उनका भाईचारा कमजोर पड़ने लगा।
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में सोनू और मोनू नाम के दो भाई रहते थे। दोनों में बहुत प्यार था, लेकिन समय के साथ उनके बीच मतभेद होने लगे। छोटी-छोटी बातों पर वे झगड़ने लगे और उनका भाईचारा कमजोर पड़ने लगा।