बड़ा पेड़ हँसकर बोला, "टिंकू, तुम क्यों नहीं सो पाते?" टिंकू ने कहा, "मैं डरता हूँ कि रात में कोई मुझे खाने न आ जाए, या कोई डरावनी आवाज़ न सुनाई दे जाए।"
बड़ा पेड़ हँसकर बोला, "टिंकू, तुम क्यों नहीं सो पाते?" टिंकू ने कहा, "मैं डरता हूँ कि रात में कोई मुझे खाने न आ जाए, या कोई डरावनी आवाज़ न सुनाई दे जाए।"
बड़ा पेड़ हँसकर बोला, "टिंकू, तुम क्यों नहीं सो पाते?" टिंकू ने कहा, "मैं डरता हूँ कि रात में कोई मुझे खाने न आ जाए, या कोई डरावनी आवाज़ न सुनाई दे जाए।"
एक रात, जब टिंकू फिर से नहीं सो पा रहा था, तो उसने सोचा कि वह जंगल के बड़े पेड़ से मदद मांगेगा। वह अपने नन्हे कदमों से पेड़ के पास गया और बोला, "बड़े पेड़, मैं रात में सो नहीं पाता। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
एक रात, जब टिंकू फिर से नहीं सो पा रहा था, तो उसने सोचा कि वह जंगल के बड़े पेड़ से मदद मांगेगा। वह अपने नन्हे कदमों से पेड़ के पास गया और बोला, "बड़े पेड़, मैं रात में सो नहीं पाता। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
एक रात, जब टिंकू फिर से नहीं सो पा रहा था, तो उसने सोचा कि वह जंगल के बड़े पेड़ से मदद मांगेगा। वह अपने नन्हे कदमों से पेड़ के पास गया और बोला, "बड़े पेड़, मैं रात में सो नहीं पाता। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
एक रात, जब टिंकू फिर से नहीं सो पा रहा था, तो उसने सोचा कि वह जंगल के बड़े पेड़ से मदद मांगेगा। वह अपने नन्हे कदमों से पेड़ के पास गया और बोला, "बड़े पेड़, मैं रात में सो नहीं पाता। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
एक रात, जब टिंकू फिर से नहीं सो पा रहा था, तो उसने सोचा कि वह जंगल के बड़े पेड़ से मदद मांगेगा। वह अपने नन्हे कदमों से पेड़ के पास गया और बोला, "बड़े पेड़, मैं रात में सो नहीं पाता। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
एक रात, जब टिंकू फिर से नहीं सो पा रहा था, तो उसने सोचा कि वह जंगल के बड़े पेड़ से मदद मांगेगा। वह अपने नन्हे कदमों से पेड़ के पास गया और बोला, "बड़े पेड़, मैं रात में सो नहीं पाता। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
एक रात, जब टिंकू फिर से नहीं सो पा रहा था, तो उसने सोचा कि वह जंगल के बड़े पेड़ से मदद मांगेगा। वह अपने नन्हे कदमों से पेड़ के पास गया और बोला, "बड़े पेड़, मैं रात में सो नहीं पाता। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"
एक बार की बात है, एक घने जंगल के किनारे एक छोटा सा खरगोश रहता था। उसका नाम टिंकू था। टिंकू बहुत चंचल और तेज़ दौड़ने वाला था। लेकिन उसकी एक समस्या थी—उसे रात में सोने में बहुत दिक्कत होती थी। वह हर रात किसी न किसी बात से डर जाता और उसे नींद नहीं आती थी।
एक बार की बात है, एक घने जंगल के किनारे एक छोटा सा खरगोश रहता था। उसका नाम टिंकू था। टिंकू बहुत चंचल और तेज़ दौड़ने वाला था। लेकिन उसकी एक समस्या थी—उसे रात में सोने में बहुत दिक्कत होती थी। वह हर रात किसी न किसी बात से डर जाता और उसे नींद नहीं आती थी।
एक बार की बात है, एक घने जंगल के किनारे एक छोटा सा खरगोश रहता था। उसका नाम टिंकू था। टिंकू बहुत चंचल और तेज़ दौड़ने वाला था। लेकिन उसकी एक समस्या थी—उसे रात में सोने में बहुत दिक्कत होती थी। वह हर रात किसी न किसी बात से डर जाता और उसे नींद नहीं आती थी।
सभी जानवरों ने कछुए की जीत की प्रशंसा की और खरगोश को उसकी घमंड और लापरवाही पर पछताना पड़ा।
सभी जानवरों ने कछुए की जीत की प्रशंसा की और खरगोश को उसकी घमंड और लापरवाही पर पछताना पड़ा।
सभी जानवरों ने कछुए की जीत की प्रशंसा की और खरगोश को उसकी घमंड और लापरवाही पर पछताना पड़ा।
सभी जानवरों ने कछुए की जीत की प्रशंसा की और खरगोश को उसकी घमंड और लापरवाही पर पछताना पड़ा।
सभी जानवरों ने कछुए की जीत की प्रशंसा की और खरगोश को उसकी घमंड और लापरवाही पर पछताना पड़ा।
सभी जानवरों ने कछुए की जीत की प्रशंसा की और खरगोश को उसकी घमंड और लापरवाही पर पछताना पड़ा।
जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ लगभग लक्ष्य के पास पहुँच चुका था। खरगोश ने तेजी से दौड़ने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए भी जीत की रेखा पार कर गया।
जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ लगभग लक्ष्य के पास पहुँच चुका था। खरगोश ने तेजी से दौड़ने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए भी जीत की रेखा पार कर गया।
जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ लगभग लक्ष्य के पास पहुँच चुका था। खरगोश ने तेजी से दौड़ने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए भी जीत की रेखा पार कर गया।
खरगोश एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा और जल्द ही सो गया। दूसरी ओर, कछुआ धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहा। वह कभी नहीं रुका और धीरे-धीरे खरगोश के पास पहुँच गया।
खरगोश एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा और जल्द ही सो गया। दूसरी ओर, कछुआ धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहा। वह कभी नहीं रुका और धीरे-धीरे खरगोश के पास पहुँच गया।
खरगोश एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा और जल्द ही सो गया। दूसरी ओर, कछुआ धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहा। वह कभी नहीं रुका और धीरे-धीरे खरगोश के पास पहुँच गया।
खरगोश एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा और जल्द ही सो गया। दूसरी ओर, कछुआ धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहा। वह कभी नहीं रुका और धीरे-धीरे खरगोश के पास पहुँच गया।
दौड़ का दिन आया। सभी जानवर इकट्ठा हुए और दौड़ शुरू हुई। खरगोश बहुत तेज़ी से दौड़ता हुआ आगे निकल गया, जबकि कछुआ धीरे-धीरे अपने रास्ते पर चल रहा था। रास्ते में खरगोश ने सोचा, "कछुआ तो बहुत दूर पीछे है, क्यों न मैं थोड़ी देर आराम कर लूँ?"
दौड़ का दिन आया। सभी जानवर इकट्ठा हुए और दौड़ शुरू हुई। खरगोश बहुत तेज़ी से दौड़ता हुआ आगे निकल गया, जबकि कछुआ धीरे-धीरे अपने रास्ते पर चल रहा था। रास्ते में खरगोश ने सोचा, "कछुआ तो बहुत दूर पीछे है, क्यों न मैं थोड़ी देर आराम कर लूँ?"
दौड़ का दिन आया। सभी जानवर इकट्ठा हुए और दौड़ शुरू हुई। खरगोश बहुत तेज़ी से दौड़ता हुआ आगे निकल गया, जबकि कछुआ धीरे-धीरे अपने रास्ते पर चल रहा था। रास्ते में खरगोश ने सोचा, "कछुआ तो बहुत दूर पीछे है, क्यों न मैं थोड़ी देर आराम कर लूँ?"
खरगोश ने हँसते हुए कहा, "तुम मुझसे दौड़ में जीतने का सपना भी मत देखना! लेकिन अगर तुम इतना ही चाह रहे हो, तो चलो देखते हैं।"
खरगोश ने हँसते हुए कहा, "तुम मुझसे दौड़ में जीतने का सपना भी मत देखना! लेकिन अगर तुम इतना ही चाह रहे हो, तो चलो देखते हैं।"
खरगोश ने हँसते हुए कहा, "तुम मुझसे दौड़ में जीतने का सपना भी मत देखना! लेकिन अगर तुम इतना ही चाह रहे हो, तो चलो देखते हैं।"
खरगोश ने हँसते हुए कहा, "तुम मुझसे दौड़ में जीतने का सपना भी मत देखना! लेकिन अगर तुम इतना ही चाह रहे हो, तो चलो देखते हैं।"
एक दिन, कछुए ने खरगोश की चुनौती स्वीकार की और कहा, "हम एक दौड़ लगाते हैं, और देखते हैं कि कौन जीतता है।"
एक दिन, कछुए ने खरगोश की चुनौती स्वीकार की और कहा, "हम एक दौड़ लगाते हैं, और देखते हैं कि कौन जीतता है।"
एक दिन, कछुए ने खरगोश की चुनौती स्वीकार की और कहा, "हम एक दौड़ लगाते हैं, और देखते हैं कि कौन जीतता है।"
एक बार की बात है, एक घने जंगल में एक तेज़ दौड़ने वाला खरगोश और एक धीमा कछुआ रहते थे। खरगोश अपनी तेज़ गति पर बहुत घमंड करता था और अक्सर कछुए का मजाक उड़ाया करता था। वह कहता, "तुम इतने धीमे हो, तुमसे तो मैं कभी भी आगे निकल सकता हूँ!"