पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। लोमड़ी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। लोमड़ी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। लोमड़ी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। लोमड़ी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। रानी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। रानी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। रानी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। Lomd भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।i
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। रानी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
पहले तो रास्ता आसान था, लेकिन थोड़ी दूर जाने के बाद उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और कांटेदार झाड़ियाँ मिलीं। मोंटी ने अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके रास्ते से पत्थर हटाए, और सोना ने ऊपर से उड़कर देखा कि कहाँ से रास्ता साफ है। रानी भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सावधानी से चलती रही।
उसने अपने दोस्तों, मोंटी बंदर और सोना तोते, से मदद मांगी। दोनों ने उसका साथ देने का वादा किया और तीनों मिलकर पहाड़ी की चढ़ाई शुरू कर दी।
उसने अपने दोस्तों, मोंटी बंदर और सोना तोते, से मदद मांगी। दोनों ने उसका साथ देने का वादा किया और तीनों मिलकर पहाड़ी की चढ़ाई शुरू कर दी।
उसने अपने दोस्तों, मोंटी बंदर और सोना तोते, से मदद मांगी। दोनों ने उसका साथ देने का वादा किया और तीनों मिलकर पहाड़ी की चढ़ाई शुरू कर दी।
एक दिन lomdi ने ठान लिया कि वह उस पहाड़ी पर चढ़कर ही रहेगी। उसने अपने दोस्तों, मोंटी बंदर और सोना तोते, से मदद मांगी। दोनों ने उसका साथ देने का वादा किया और तीनों मिलकर पहाड़ी की चढ़ाई शुरू कर दी।
एक दिन lomdi ने ठान लिया कि वह उस पहाड़ी पर चढ़कर ही रहेगी। उसने अपने दोस्तों, मोंटी बंदर और सोना तोते, से मदद मांगी। दोनों ने उसका साथ देने का वादा किया और तीनों मिलकर पहाड़ी की चढ़ाई शुरू कर दी।
एक दिन lomdi ने ठान लिया कि वह उस पहाड़ी पर चढ़कर ही रहेगी। उसने अपने दोस्तों, मोंटी बंदर और सोना तोते, से मदद मांगी। दोनों ने उसका साथ देने का वादा किया और तीनों मिलकर पहाड़ी की चढ़ाई शुरू कर दी।
एक छोटे से गाँव में छोटू नाम का एक नटखट और कल्पनाशील लड़का रहता था। छोटू को ड्रॉइंग बनाना बहुत पसंद था, लेकिन उसके पास अच्छी पेंसिल नहीं थी। एक दिन, जंगल में घूमते समय उसे एक बूढ़े आदमी ने एक चमकती हुई पेंसिल दी और कहा, "यह एक जादुई पेंसिल है। इससे जो भी तुम
एक छोटे से गाँव में छोटू नाम का एक नटखट और कल्पनाशील लड़का रहता था। छोटू को ड्रॉइंग बनाना बहुत पसंद था, लेकिन उसके पास अच्छी पेंसिल नहीं थी। एक दिन, जंगल में घूमते समय उसे एक बूढ़े आदमी ने एक चमकती हुई पेंसिल दी और कहा, "यह एक जादुई पेंसिल है। इससे जो भी तुम
एक छोटे से गाँव में छोटू नाम का एक नटखट और कल्पनाशील लड़का रहता था। छोटू को ड्रॉइंग बनाना बहुत पसंद था, लेकिन उसके पास अच्छी पेंसिल नहीं थी। एक दिन, जंगल में घूमते समय उसे एक बूढ़े आदमी ने एक चमकती हुई पेंसिल दी और कहा, "यह एक जादुई पेंसिल है। इससे जो भी तुम
छोटू ने आश्चर्य से बूढ़े आदमी की बात सुनी और उत्सुकता से पेंसिल लेकर घर चला गया। घर पहुँचकर उसने सबसे पहले एक सुंदर घर बनाया। जैसे ही उसने आखिरी रेखा खींची, वह घर अचानक असली बन गया! छोटू बहुत खुश हुआ। अब उसके पास एक असली, सुंदर घर था।
छोटू ने आश्चर्य से बूढ़े आदमी की बात सुनी और उत्सुकता से पेंसिल लेकर घर चला गया। घर पहुँचकर उसने सबसे पहले एक सुंदर घर बनाया। जैसे ही उसने आखिरी रेखा खींची, वह घर अचानक असली बन गया! छोटू बहुत खुश हुआ। अब उसके पास एक असली, सुंदर घर था।
छोटू ने आश्चर्य से बूढ़े आदमी की बात सुनी और उत्सुकता से पेंसिल लेकर घर चला गया। घर पहुँचकर उसने सबसे पहले एक सुंदर घर बनाया। जैसे ही उसने आखिरी रेखा खींची, वह घर अचानक असली बन गया! छोटू बहुत खुश हुआ। अब उसके पास एक असली, सुंदर घर था।
छोटू ने जादुई पेंसिल का उपयोग केवल दूसरों की मदद करने में किया। वह जान गया था कि यह पेंसिल एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। उसने अपने गाँव को खुशहाल बना दिया और सबको सिखाया कि हमें अपनी शक्तियों का उपयोग दूसरों के भले के लिए करना चाहिए।
छोटू ने जादुई पेंसिल का उपयोग केवल दूसरों की मदद करने में किया। वह जान गया था कि यह पेंसिल एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। उसने अपने गाँव को खुशहाल बना दिया और सबको सिखाया कि हमें अपनी शक्तियों का उपयोग दूसरों के भले के लिए करना चाहिए।
छोटू ने जादुई पेंसिल का उपयोग केवल दूसरों की मदद करने में किया। वह जान गया था कि यह पेंसिल एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। उसने अपने गाँव को खुशहाल बना दिया और सबको सिखाया कि हमें अपनी शक्तियों का उपयोग दूसरों के भले के लिए करना चाहिए।
एक हरे-भरे जंगल में रानी नाम की एक प्यारी सी लोमड़ी रहती थी। रानी बेहद चालाक और बुद्धिमान थी, और उसका एक ही सपना था—जंगल की सबसे ऊंची पहाड़ी पर पहुँचकर वहां से सूरज को उगते हुए देखना। लेकिन पहाड़ी तक पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन और खतरनाक था। कोई भी जानवर वहां जाने की हिम्मत नहीं करता था।
एक हरे-भरे जंगल में रानी नाम की एक प्यारी सी लोमड़ी रहती थी। रानी बेहद चालाक और बुद्धिमान थी, और उसका एक ही सपना था—जंगल की सबसे ऊंची पहाड़ी पर पहुँचकर वहां से सूरज को उगते हुए देखना। लेकिन पहाड़ी तक पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन और खतरनाक था। कोई भी जानवर वहां जाने की हिम्मत नहीं करता था।
एक हरे-भरे जंगल में रानी नाम की एक प्यारी सी लोमड़ी रहती थी। रानी बेहद चालाक और बुद्धिमान थी, और उसका एक ही सपना था—जंगल की सबसे ऊंची पहाड़ी पर पहुँचकर वहां से सूरज को उगते हुए देखना। लेकिन पहाड़ी तक पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन और खतरनाक था। कोई भी जानवर वहां जाने की हिम्मत नहीं करता था।
एक दिन, छोटू ने सोचा, "क्यों न मैं इस जादुई पेंसिल से कुछ और अच्छा बनाऊं जिससे सबकी मदद हो सके?" उसने एक बड़ा बगीचा बनाया जिसमें हर तरह के फल और सब्जियाँ उगती थीं। अब गाँव के सभी लोग उस बगीचे से फल और सब्जियाँ लेने लगे और कोई भूखा नहीं रहा।
एक दिन, छोटू ने सोचा, "क्यों न मैं इस जादुई पेंसिल से कुछ और अच्छा बनाऊं जिससे सबकी मदद हो सके?" उसने एक बड़ा बगीचा बनाया जिसमें हर तरह के फल और सब्जियाँ उगती थीं। अब गाँव के सभी लोग उस बगीचे से फल और सब्जियाँ लेने लगे और कोई भूखा नहीं रहा।
एक दिन, छोटू ने सोचा, "क्यों न मैं इस जादुई पेंसिल से कुछ और अच्छा बनाऊं जिससे सबकी मदद हो सके?" उसने एक बड़ा बगीचा बनाया जिसमें हर तरह के फल और सब्जियाँ उगती थीं। अब गाँव के सभी लोग उस बगीचे से फल और सब्जियाँ लेने लगे और कोई भूखा नहीं रहा।
इसके बाद, छोटू ने एक बाइक बनाई, और वह भी असली हो गई। वह पूरे गाँव में अपनी नई बाइक पर घूमने लगा। गाँव के सभी लोग यह देखकर दंग रह गए कि छोटू के पास इतनी सारी चीजें कहाँ से आईं।
इसके बाद, छोटू ने एक बाइक बनाई, और वह भी असली हो गई। वह पूरे गाँव में अपनी नई बाइक पर घूमने लगा। गाँव के सभी लोग यह देखकर दंग रह गए कि छोटू के पास इतनी सारी चीजें कहाँ से आईं।
इसके बाद, छोटू ने एक बाइक बनाई, और वह भी असली हो गई। वह पूरे गाँव में अपनी नई बाइक पर घूमने लगा। गाँव के सभी लोग यह देखकर दंग रह गए कि छोटू के पास इतनी सारी चीजें कहाँ से आईं।
छोटू ने आश्चर्य से बूढ़े आदमी की बात सुनी और उत्सुकता से पेंसिल लेकर घर चला गया। घर पहुँचकर उसने सबसे पहले एक सुंदर घर बनाया। जैसे ही उसने आखिरी रेखा खींची, वह घर अचानक असली बन गया! छोटू बहुत खुश हुआ। अब उसके पास एक असली, सुंदर घर था।
छोटू ने आश्चर्य से बूढ़े आदमी की बात सुनी और उत्सुकता से पेंसिल लेकर घर चला गया। घर पहुँचकर उसने सबसे पहले एक सुंदर घर बनाया। जैसे ही उसने आखिरी रेखा खींची, वह घर अचानक असली बन गया! छोटू बहुत खुश हुआ। अब उसके पास एक असली, सुंदर घर था।
छोटू ने आश्चर्य से बूढ़े आदमी की बात सुनी और उत्सुकता से पेंसिल लेकर घर चला गया। घर पहुँचकर उसने सबसे पहले एक सुंदर घर बनाया। जैसे ही उसने आखिरी रेखा खींची, वह घर अचानक असली बन गया! छोटू बहुत खुश हुआ। अब उसके पास एक असली, सुंदर घर था।