अब Bandar को समझ आ गया था कि इन जादुई गुब्बारों का इस्तेमाल वह दूसरों की मदद के लिए कर सकता है। इसके बाद bandar हमेशा अपने गुब्बारों के साथ लोगों की मदद करता और पूरे गाँव में हीरो बन गया।
अब Bandar को समझ आ गया था कि इन जादुई गुब्बारों का इस्तेमाल वह दूसरों की मदद के लिए कर सकता है। इसके बाद bandar हमेशा अपने गुब्बारों के साथ लोगों की मदद करता और पूरे गाँव में हीरो बन गया।
बंदर ने सोचा कि पेड़ की बात में जरूर कुछ मतलब होगा। उसने नीचे देखा और पाया कि कुछ गाँव के बच्चे नदी के किनारे खेल रहे थे, और नदी का पानी अचानक बढ़ रहा था। बन्दर को समझ आ गया कि अब वह इन बच्चों की मदद कर सकता है।
बंदर ने सोचा कि पेड़ की बात में जरूर कुछ मतलब होगा। उसने नीचे देखा और पाया कि कुछ गाँव के बच्चे नदी के किनारे खेल रहे थे, और नदी का पानी अचानक बढ़ रहा था। बन्दर को समझ आ गया कि अब वह इन बच्चों की मदद कर सकता है।
बन्दर ने अपने गुब्बारों की मदद से उड़ते हुए उन बच्चों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया। गाँव के लोग बंदर को देख हैरान रह गए। सभी ने उसकी तारीफ की और उसे धन्यवाद कहा।
बन्दर ने अपने गुब्बारों की मदद से उड़ते हुए उन बच्चों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया। गाँव के लोग बंदर को देख हैरान रह गए। सभी ने उसकी तारीफ की और उसे धन्यवाद कहा।
बन्दर ने अपने गुब्बारों की मदद से उड़ते हुए उन बच्चों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया। गाँव के लोग बंदर को देख हैरान रह गए। सभी ने उसकी तारीफ की और उसे धन्यवाद कहा।
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में कई प्रकार के पंछी रहते थे। सभी पंछी अलग-अलग रंग और आकार के थे, लेकिन उनमें आपस में मेल-जोल नहीं था। हर पंछी अपने ही गुट में रहता था और एक-दूसरे से दूर रहता था।
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में कई प्रकार के पंछी रहते थे। सभी पंछी अलग-अलग रंग और आकार के थे, लेकिन उनमें आपस में मेल-जोल नहीं था। हर पंछी अपने ही गुट में रहता था और एक-दूसरे से दूर रहता था।
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में कई प्रकार के पंछी रहते थे। सभी पंछी अलग-अलग रंग और आकार के थे, लेकिन उनमें आपस में मेल-जोल नहीं था। हर पंछी अपने ही गुट में रहता था और एक-दूसरे से दूर रहता था।
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में कई प्रकार के पंछी रहते थे। सभी पंछी अलग-अलग रंग और आकार के थे, लेकिन उनमें आपस में मेल-जोल नहीं था। हर पंछी अपने ही गुट में रहता था और एक-दूसरे से दूर रहता था।
बंदर ने सोचा कि पेड़ की बात में जरूर कुछ मतलब होगा। उसने नीचे देखा और पाया कि कुछ गाँव के बच्चे नदी के किनारे खेल रहे थे, और नदी का पानी अचानक बढ़ रहा था। बन्दर को समझ आ गया कि अब वह इन बच्चों की मदद कर सकता है।
बंदर ने सोचा कि पेड़ की बात में जरूर कुछ मतलब होगा। उसने नीचे देखा और पाया कि कुछ गाँव के बच्चे नदी के किनारे खेल रहे थे, और नदी का पानी अचानक बढ़ रहा था। बन्दर को समझ आ गया कि अब वह इन बच्चों की मदद कर सकता है।
बंदर ने सोचा कि पेड़ की बात में जरूर कुछ मतलब होगा। उसने नीचे देखा और पाया कि कुछ गाँव के बच्चे नदी के किनारे खेल रहे थे, और नदी का पानी अचानक बढ़ रहा था। बन्दर को समझ आ गया कि अब वह इन बच्चों की मदद कर सकता है।
बंदर ने सोचा कि पेड़ की बात में जरूर कुछ मतलब होगा। उसने नीचे देखा और पाया कि कुछ गाँव के बच्चे नदी के किनारे खेल रहे थे, और नदी का पानी अचानक बढ़ रहा था। बन्दर को समझ आ गया कि अब वह इन बच्चों की मदद कर सकता है।
पेड़ ने हंसते हुए कहा, "तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई!" और अचानक बन्दर के हाथ में ढेर सारे गुब्बारे आ गए। बन्दर बहुत खुश हुआ और अपनी नई-नई गुब्बारों से खेलते हुए पूरे जंगल में इधर-उधर दौड़ने लगा।
पेड़ ने हंसते हुए कहा, "तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई!" और अचानक बन्दर के हाथ में ढेर सारे गुब्बारे आ गए। बन्दर बहुत खुश हुआ और अपनी नई-नई गुब्बारों से खेलते हुए पूरे जंगल में इधर-उधर दौड़ने लगा।
पेड़ ने हंसते हुए कहा, "तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई!" और अचानक बन्दर के हाथ में ढेर सारे गुब्बारे आ गए। बन्दर बहुत खुश हुआ और अपनी नई-नई गुब्बारों से खेलते हुए पूरे जंगल में इधर-उधर दौड़ने लगा।
पेड़ ने हंसते हुए कहा, "तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई!" और अचानक बन्दर के हाथ में ढेर सारे गुब्बारे आ गए। बन्दर बहुत खुश हुआ और अपनी नई-नई गुब्बारों से खेलते हुए पूरे जंगल में इधर-उधर दौड़ने लगा।
बन्दर ने झट से बेल पकड़ी और कहा, "मैं ढेर सारे रंग-बिरंगे गुब्बारे चाहता हूँ!"
बन्दर ने झट से बेल पकड़ी और कहा, "मैं ढेर सारे रंग-बिरंगे गुब्बारे चाहता हूँ!"
बन्दर ने झट से बेल पकड़ी और कहा, "मैं ढेर सारे रंग-बिरंगे गुब्बारे चाहता हूँ!"
एक दिन बन्दर जंगल में खेल रहा था, तभी उसने एक जादुई पेड़ देखा। पेड़ के पास एक चमकदार पत्तों वाली बेल लटकी हुई थी। बन्दर को देखकर पेड़ बोला, "हे बन्दर अगर तुम मेरी बेल को पकड़कर मुझसे कुछ मांगोगे, तो तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी।"
एक दिन बन्दर जंगल में खेल रहा था, तभी उसने एक जादुई पेड़ देखा। पेड़ के पास एक चमकदार पत्तों वाली बेल लटकी हुई थी। बन्दर को देखकर पेड़ बोला, "हे बन्दर अगर तुम मेरी बेल को पकड़कर मुझसे कुछ मांगोगे, तो तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी।"
एक दिन बन्दर जंगल में खेल रहा था, तभी उसने एक जादुई पेड़ देखा। पेड़ के पास एक चमकदार पत्तों वाली बेल लटकी हुई थी। बन्दर को देखकर पेड़ बोला, "हे बन्दर अगर तुम मेरी बेल को पकड़कर मुझसे कुछ मांगोगे, तो तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी।"
जंगल के किनारे एक छोटा सा गाँव था, जहाँ एक बंदर रहता था। उसका नाम मंजी था। मंजी को
जंगल के किनारे एक छोटा सा गाँव था, जहाँ एक बंदर रहता था। उसका नाम मंजी था। मंजी को
जंगल के किनारे एक छोटा सा गाँव था, जहाँ एक बंदर रहता था। उसका नाम मंजी था। मंजी को
जंगल के किनारे एक छोटा सा गाँव था, जहाँ एक बंदर रहता था। उसका नाम मंजी था। मंजी को गुब्बारों से बहुत प्यार था। जब भी गाँव में मेला लगता, वह गुब्बारे बेचने वाले के पास जाकर रंग-बिरंगे गुब्बारे देखता और सोचता, "काश! मेरे पास भी इतने सारे गुब्बारे होते।"
जंगल के किनारे एक छोटा सा गाँव था, जहाँ एक बंदर रहता था। उसका नाम मंजी था। मंजी को गुब्बारों से बहुत प्यार था। जब भी गाँव में मेला लगता, वह गुब्बारे बेचने वाले के पास जाकर रंग-बिरंगे गुब्बारे देखता और सोचता, "काश! मेरे पास भी इतने सारे गुब्बारे होते।"
जंगल के किनारे एक छोटा सा गाँव था, जहाँ एक बंदर रहता था। उसका नाम मंजी था। मंजी को गुब्बारों से बहुत प्यार था। जब भी गाँव में मेला लगता, वह गुब्बारे बेचने वाले के पास जाकर रंग-बिरंगे गुब्बारे देखता और सोचता, "काश! मेरे पास भी इतने सारे गुब्बारे होते।"
एक दिन, जब अर्जुन जंगल में घूम रहा था, उसने एक हल्की सी आवाज सुनी। आवाज का पीछा करते हुए, उसने देखा कि एक छोटी गिलहरी काँटेदार झाड़ी में फँस गई थी। बिना कोई देरी किए, अर्जुन ने धीरे-धीरे गिलहरी को झाड़ी से बाहर निकाला। गिलहरी बहुत खुश हुई और चहचहाते हुए अर्जुन के कंधे पर चढ़ गई। अर्जुन ने उसका नाम चिंटू रखा, और वे दोनों जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गए।
एक दिन, जब अर्जुन जंगल में घूम रहा था, उसने एक हल्की सी आवाज सुनी। आवाज का पीछा करते हुए, उसने देखा कि एक छोटी गिलहरी काँटेदार झाड़ी में फँस गई थी। बिना कोई देरी किए, अर्जुन ने धीरे-धीरे गिलहरी को झाड़ी से बाहर निकाला। गिलहरी बहुत खुश हुई और चहचहाते हुए अर्जुन के कंधे पर चढ़ गई। अर्जुन ने उसका नाम चिंटू रखा, और वे दोनों जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गए।
एक दिन, जब अर्जुन जंगल में घूम रहा था, उसने एक हल्की सी आवाज सुनी। आवाज का पीछा करते हुए, उसने देखा कि एक छोटी गिलहरी काँटेदार झाड़ी में फँस गई थी। बिना कोई देरी किए, अर्जुन ने धीरे-धीरे गिलहरी को झाड़ी से बाहर निकाला। गिलहरी बहुत खुश हुई और चहचहाते हुए अर्जुन के कंधे पर चढ़ गई। अर्जुन ने उसका नाम चिंटू रखा, और वे दोनों जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गए।
एक दिन, जब अर्जुन जंगल में घूम रहा था, उसने एक हल्की सी आवाज सुनी। आवाज का पीछा करते हुए, उसने देखा कि एक छोटी गिलहरी काँटेदार झाड़ी में फँस गई थी। बिना कोई देरी किए, अर्जुन ने धीरे-धीरे गिलहरी को झाड़ी से बाहर निकाला। गिलहरी बहुत खुश हुई और चहचहाते हुए अर्जुन के कंधे पर चढ़ गई। अर्जुन ने उसका नाम चिंटू रखा, और वे दोनों जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गए।
एक छोटी गिलहरी काँटेदार झाड़ी में फँस गई थी। बिना कोई देरी किए, अर्जुन ने धीरे-धीरे गिलहरी को झाड़ी से बाहर निकाला। गिलहरी बहुत खुश हुई और चहचहाते हुए अर्जुन के कंधे पर चढ़ गई। अर्जुन ने उसका नाम चिंटू रखा, और वे दोनों जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गए।
एक छोटी गिलहरी काँटेदार झाड़ी में फँस गई थी। बिना कोई देरी किए, अर्जुन ने धीरे-धीरे गिलहरी को झाड़ी से बाहर निकाला। गिलहरी बहुत खुश हुई और चहचहाते हुए अर्जुन के कंधे पर चढ़ गई। अर्जुन ने उसका नाम चिंटू रखा, और वे दोनों जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गए।