एक ठंडी सर्दी की रात थी। कालका मेल अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रही थी। ट्रेन की लगभग सभी बत्तियाँ बुझ चुकी थीं, और ज्यादातर यात्री सो चुके थे। ट्रेन के एक डिब्बे में दो आर्मी ऑफिसर, कैप्टन रोहित और मेजर अर्जुन, भी सफर कर रहे थे। वे अपनी छुट्टियों से वापस आ रहे थे और अपने ठिकाने पर लौट रहे थे।