दूसरी इच्छा में, रिया ने कहा, "मैं चाहती हूँ कि मेरे माता-पिता हमेशा स्वस्थ और खुश रहें।" परी ने फिर से आशीर्वाद दिया और रिया के माता-पिता हमेशा स्वस्थ और खुश रहने लगे।
दूसरी इच्छा में, रिया ने कहा, "मैं चाहती हूँ कि मेरे माता-पिता हमेशा स्वस्थ और खुश रहें।" परी ने फिर से आशीर्वाद दिया और रिया के माता-पिता हमेशा स्वस्थ और खुश रहने लगे।
दूसरी इच्छा में, रिया ने कहा, "मैं चाहती हूँ कि मेरे माता-पिता हमेशा स्वस्थ और खुश रहें।" परी ने फिर से आशीर्वाद दिया और रिया के माता-पिता हमेशा स्वस्थ और खुश रहने लगे।
पहली इच्छा में, रिया ने कहा, "मैं चाहती हूँ कि हमारे गाँव में हमेशा शांति और खुशहाली बनी रहे।" परी ने उसे आशीर्वाद दिया और गाँव में खुशहाली छा गई। सभी लोग मिलजुलकर रहने लगे।
पहली इच्छा में, रिया ने कहा, "मैं चाहती हूँ कि हमारे गाँव में हमेशा शांति और खुशहाली बनी रहे।" परी ने उसे आशीर्वाद दिया और गाँव में खुशहाली छा गई। सभी लोग मिलजुलकर रहने लगे।
परी ने रिया को धन्यवाद दिया और कहा, "तुम्हारी दयालुता के लिए मैं तुम्हें तीन इच्छाएं पूरी करने का वरदान देती हूँ। तुम जो चाहो, मांग सकती हो।" रिया बहुत खुश हुई, लेकिन उसने सोच-समझकर इच्छाएं मांगने का निर्णय लिया।
परी ने रिया को धन्यवाद दिया और कहा, "तुम्हारी दयालुता के लिए मैं तुम्हें तीन इच्छाएं पूरी करने का वरदान देती हूँ। तुम जो चाहो, मांग सकती हो।" रिया बहुत खुश हुई, लेकिन उसने सोच-समझकर इच्छाएं मांगने का निर्णय लिया।
विभीषण ने श्रीराम को लंका की संरचनाओं और रावण की कमजोरियों की जानकारी दी। वह श्रीराम से सहायता मांगता है कि रावण की बुराई के खिलाफ युद्ध में वे उसकी मदद करें। श्रीराम ने विभीषण की बातों पर विश्वास किया और उसे अपने साथ ले लिया।
विभीषण ने श्रीराम को लंका की संरचनाओं और रावण की कमजोरियों की जानकारी दी। वह श्रीराम से सहायता मांगता है कि रावण की बुराई के खिलाफ युद्ध में वे उसकी मदद करें। श्रीराम ने विभीषण की बातों पर विश्वास किया और उसे अपने साथ ले लिया।
राम और लक्ष्मण को सीता की खोज में बहुत समय हो गया था, और वे अब रावण की राजधानी लंका की ओर बढ़ रहे थे। जब वे लंका के पास पहुंचे, तो उनका सामना विभीषण से हुआ, जो रावण का भाई था और रावण की अधर्मिता से परेशान था।
राम और लक्ष्मण को सीता की खोज में बहुत समय हो गया था, और वे अब रावण की राजधानी लंका की ओर बढ़ रहे थे। जब वे लंका के पास पहुंचे, तो उनका सामना विभीषण से हुआ, जो रावण का भाई था और रावण की अधर्मिता से परेशान था।
राम और लक्ष्मण को सीता की खोज में बहुत समय हो गया था, और वे अब रावण की राजधानी लंका की ओर बढ़ रहे थे। जब वे लंका के पास पहुंचे, तो उनका सामना विभीषण से हुआ, जो रावण का भाई था और रावण की अधर्मिता से परेशान था।
राम और लक्ष्मण को सीता की खोज में बहुत समय हो गया था, और वे अब रावण की राजधानी लंका की ओर बढ़ रहे थे। जब वे लंका के पास पहुंचे, तो उनका सामना विभीषण से हुआ, जो रावण का भाई था और रावण की अधर्मिता से परेशान था।
बूढ़े आदमी ने कहा, "बेटा, मैं इस जंगल में अपने घर का रास्ता भूल गया हूँ। मेरी आँखें कमजोर हो गई हैं और मैं ठीक से देख नहीं पा रहा हूँ। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?"
बूढ़े आदमी ने कहा, "बेटा, मैं इस जंगल में अपने घर का रास्ता भूल गया हूँ। मेरी आँखें कमजोर हो गई हैं और मैं ठीक से देख नहीं पा रहा हूँ। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?"
बूढ़े आदमी ने कहा, "बेटा, मैं इस जंगल में अपने घर का रास्ता भूल गया हूँ। मेरी आँखें कमजोर हो गई हैं और मैं ठीक से देख नहीं पा रहा हूँ। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?"
एक दिन रामू जंगल में लकड़ी काटने गया। वहाँ उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी पेड़ के नीचे बैठा है और बहुत परेशान दिख रहा है। रामू उसके पास गया और पूछा, "बाबा, क्या हुआ? आप इतने दुखी क्यों हैं?"
एक दिन रामू जंगल में लकड़ी काटने गया। वहाँ उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी पेड़ के नीचे बैठा है और बहुत परेशान दिख रहा है। रामू उसके पास गया और पूछा, "बाबा, क्या हुआ? आप इतने दुखी क्यों हैं?"
राजकुमार ने अगले दिन राज्यभर में यह घोषणा करवाई कि जिसने भी वह जूती पहनी, वही उसकी दुल्हन बनेगी। राजकुमार ने हर घर में जाकर वह जूती आजमाई, लेकिन किसी के पैर में फिट नहीं हुई। अंत में, वह सिंड्रेला के घर पहुंचा। उसकी सौतेली बहनों ने भी जूती पहनने की कोशिश की, लेकिन वह फिट नहीं हुई।
तभी सिंड्रेला आई और उसने वह जूती पहनी। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हो गई। राजकुमार ने तुरंत उसे पहचान लिया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार किया, और वे दोनों खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।
तभी सिंड्रेला आई और उसने वह जूती पहनी। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हो गई। राजकुमार ने तुरंत उसे पहचान लिया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार किया, और वे दोनों खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।
तभी सिंड्रेला आई और उसने वह जूती पहनी। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हो गई। राजकुमार ने तुरंत उसे पहचान लिया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार किया, और वे दोनों खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।
एक दिन, राजा के महल में एक बड़ा भोज होने वाला था, जहाँ राज्य के सभी युवतियों को आमंत्रित किया गया था। राजा का पुत्र, राजकुमार, अपनी दुल्हन चुनने वाला था। सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहनों ने उसे घर के कामों में उलझाकर महल जाने से रोकने
एक दिन, राजा के महल में एक बड़ा भोज होने वाला था, जहाँ राज्य के सभी युवतियों को आमंत्रित किया गया था। राजा का पुत्र, राजकुमार, अपनी दुल्हन चुनने वाला था। सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहनों ने उसे घर के कामों में उलझाकर महल जाने से रोकने
एक दिन, राजा के महल में एक बड़ा भोज होने वाला था, जहाँ राज्य के सभी युवतियों को आमंत्रित किया गया था। राजा का पुत्र, राजकुमार, अपनी दुल्हन चुनने वाला था। सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहनों ने उसे घर के कामों में उलझाकर महल जाने से रोकने
एक दिन, राजा के महल में एक बड़ा भोज होने वाला था, जहाँ राज्य के सभी युवतियों को आमंत्रित किया गया था। राजा का पुत्र, राजकुमार, अपनी दुल्हन चुनने वाला था। सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहनों ने उसे घर के कामों में उलझाकर महल जाने से रोकने
सिंड्रेला की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में सिंड्रेला नाम की एक सुंदर और दयालु लड़की रहती थी। उसके पिता की दूसरी शादी हो गई थी, और उसकी सौतेली माँ और दो सौतेली बहनें थीं। वे सभी सिंड्रेला के साथ बहुत बुरा व्यवहार करती थीं। उसकी
सिंड्रेला की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में सिंड्रेला नाम की एक सुंदर और दयालु लड़की रहती थी। उसके पिता की दूसरी शादी हो गई थी, और उसकी सौतेली माँ और दो सौतेली बहनें थीं। वे सभी सिंड्रेला के साथ बहुत बुरा व्यवहार करती थीं। उसकी
सिंड्रेला की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में सिंड्रेला नाम की एक सुंदर और दयालु लड़की रहती थी। उसके पिता की दूसरी शादी हो गई थी, और उसकी सौतेली माँ और दो सौतेली बहनें थीं। वे सभी सिंड्रेला के साथ बहुत बुरा व्यवहार करती थीं। उसकी सौतेली
सिंड्रेला की कहानी बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में सिंड्रेला नाम की एक सुंदर और दयालु लड़की रहती थी। उसके पिता की दूसरी शादी हो गई थी, और उसकी सौतेली माँ और दो सौतेली बहनें थीं। वे सभी सिंड्रेला के साथ बहुत बुरा व्यवहार करती थीं। उसकी सौतेली
तभी सिंड्रेला आई और उसने वह जूती पहनी। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हो गई। राजकुमार ने तुरंत उसे पहचान लिया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार किया, और वे दोनों खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।
तभी सिंड्रेला आई और उसने वह जूती पहनी। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हो गई। राजकुमार ने तुरंत उसे पहचान लिया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार किया, और वे दोनों खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।
तभी सिंड्रेला आई और उसने वह जूती पहनी। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हो गई। राजकुमार ने तुरंत उसे पहचान लिया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार किया, और वे दोनों खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।
तभी सिंड्रेला आई और उसने वह जूती पहनी। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हो गई। राजकुमार ने तुरंत उसे पहचान लिया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार किया, और वे दोनों खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।
तभी सिंड्रेला आई और उसने वह जूती पहनी। जूती उसके पैर में पूरी तरह फिट हो गई। राजकुमार ने तुरंत उसे पहचान लिया और उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। सिंड्रेला ने खुशी-खुशी प्रस्ताव स्वीकार किया, और वे दोनों खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगे।
राजकुमार ने अगले दिन राज्यभर में यह घोषणा करवाई कि जिसने भी वह जूती पहनी, वही उसकी दुल्हन बनेगी। राजकुमार ने हर घर में जाकर वह जूती आजमाई, लेकिन किसी के पैर में फिट नहीं हुई। अंत में, वह सिंड्रेला के घर पहुंचा। उसकी सौतेली बहनों ने भी जूती पहनने की कोशिश की, लेकिन वह फिट नहीं हुई।
राजकुमार ने अगले दिन राज्यभर में यह घोषणा करवाई कि जिसने भी वह जूती पहनी, वही उसकी दुल्हन बनेगी। राजकुमार ने हर घर में जाकर वह जूती आजमाई, लेकिन किसी के पैर में फिट नहीं हुई। अंत में, वह सिंड्रेला के घर पहुंचा। उसकी सौतेली बहनों ने भी जूती पहनने की कोशिश की, लेकिन वह फिट नहीं हुई।