उसकी देखा-देखी समूह के अन्य मेंढक भी चिल्लाने लगे, “इस मेंढक को यहाँ से निकालिये। इस मेंढक को यहाँ से भगाइये।” मेंढकों के सरदार को भी आखिर उन लोगों की बात सही लगी। उसने आदेश दिया कि इस झूठे दगाबाज मेंढक को यहाँ से भगा दिया जाए। सबने मिलकर समुद्री मेंढक को कुएं से बाहर निकाल दिया। सीख
उसकी देखा-देखी समूह के अन्य मेंढक भी चिल्लाने लगे, “इस मेंढक को यहाँ से निकालिये। इस मेंढक को यहाँ से भगाइये।” मेंढकों के सरदार को भी आखिर उन लोगों की बात सही लगी। उसने आदेश दिया कि इस झूठे दगाबाज मेंढक को यहाँ से भगा दिया जाए। सबने मिलकर समुद्री मेंढक को कुएं से बाहर निकाल दिया। सीख
उसकी देखा-देखी समूह के अन्य मेंढक भी चिल्लाने लगे, “इस मेंढक को यहाँ से निकालिये। इस मेंढक को यहाँ से भगाइये।” मेंढकों के सरदार को भी आखिर उन लोगों की बात सही लगी। उसने आदेश दिया कि इस झूठे दगाबाज मेंढक को यहाँ से भगा दिया जाए। सबने मिलकर समुद्री मेंढक को कुएं से बाहर निकाल दिया। सीख
उसकी देखा-देखी समूह के अन्य मेंढक भी चिल्लाने लगे, “इस मेंढक को यहाँ से निकालिये। इस मेंढक को यहाँ से भगाइये।” मेंढकों के सरदार को भी आखिर उन लोगों की बात सही लगी। उसने आदेश दिया कि इस झूठे दगाबाज मेंढक को यहाँ से भगा दिया जाए। सबने मिलकर समुद्री मेंढक को कुएं से बाहर निकाल दिया। सीख
समुद्री मेंढक ने हँसते हुए जवाब दिया, “इससे कहीं बड़ा। जिसका अंदाज़ा ही नहीं लगाया जा सकता।” ना मेंढक का सरदार और ना उसके समूह के मेंढक कभी कुएं से बाहर निकले थे। कुआं ही उनकी दुनिया थी। उन्हें समुद्री मेंढक की बात पर यकीन ही नहीं हुआ। मेंढक का सरदार कुछ देर तक चुप रहा, तो समूह में से एक मेंढक बोला, “सरदार यह झूठ बोल रहा है। हमारे कुएं से विशाल जगह कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे झूठे मक्कार मेंढक को हम अपने सा
समुद्री मेंढक ने हँसते हुए जवाब दिया, “इससे कहीं बड़ा। जिसका अंदाज़ा ही नहीं लगाया जा सकता।” ना मेंढक का सरदार और ना उसके समूह के मेंढक कभी कुएं से बाहर निकले थे। कुआं ही उनकी दुनिया थी। उन्हें समुद्री मेंढक की बात पर यकीन ही नहीं हुआ। मेंढक का सरदार कुछ देर तक चुप रहा, तो समूह में से एक मेंढक बोला, “सरदार यह झूठ बोल रहा है। हमारे कुएं से विशाल जगह कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे झूठे मक्कार मेंढक को हम अपने सा
समुद्री मेंढक ने हँसते हुए जवाब दिया, “इससे कहीं बड़ा। जिसका अंदाज़ा ही नहीं लगाया जा सकता।” ना मेंढक का सरदार और ना उसके समूह के मेंढक कभी कुएं से बाहर निकले थे। कुआं ही उनकी दुनिया थी। उन्हें समुद्री मेंढक की बात पर यकीन ही नहीं हुआ। मेंढक का सरदार कुछ देर तक चुप रहा, तो समूह में से एक मेंढक बोला, “सरदार यह झूठ बोल रहा है। हमारे कुएं से विशाल जगह कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे झूठे मक्कार मेंढक को हम अपने सा
समुद्री मेंढक ने हँसते हुए जवाब दिया, “इससे कहीं बड़ा। जिसका अंदाज़ा ही नहीं लगाया जा सकता।” ना मेंढक का सरदार और ना उसके समूह के मेंढक कभी कुएं से बाहर निकले थे। कुआं ही उनकी दुनिया थी। उन्हें समुद्री मेंढक की बात पर यकीन ही नहीं हुआ। मेंढक का सरदार कुछ देर तक चुप रहा, तो समूह में से एक मेंढक बोला, “सरदार यह झूठ बोल रहा है। हमारे कुएं से विशाल जगह कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे झूठे मक्कार मेंढक को हम अपने सा
समुद्री मेंढक ने उत्तर दिया, “मैं समुद्र से आया हूँ।” कुएं में रहने वाले मेंढकों ने कभी समुद्र नहीं देखा था। वे सब आपस में खुसर-फुसुर करने लगे। मेंढकों के सरदार को भी कुछ समझ नहीं आया। उसने पूछा, “यह समुद्र क्या होता है?”
समुद्री मेंढक ने उत्तर दिया, “मैं समुद्र से आया हूँ।” कुएं में रहने वाले मेंढकों ने कभी समुद्र नहीं देखा था। वे सब आपस में खुसर-फुसुर करने लगे। मेंढकों के सरदार को भी कुछ समझ नहीं आया। उसने पूछा, “यह समुद्र क्या होता है?”
कुएं के पानी में जाकर वह मेंढकों से मिला। वे उसे अपने सरदार के पास ले गये। मेंढकों के सरदार ने उससे पूछा, “तुम कहाँ से आए हो?”
कुएं के पानी में जाकर वह मेंढकों से मिला। वे उसे अपने सरदार के पास ले गये। मेंढकों के सरदार ने उससे पूछा, “तुम कहाँ से आए हो?”
एक विशाल समुद्र में एक मेंढक रहा करता था। एक दिन वह समुद्र से बाहर निकला और फुदक-फुदक कर इधर-उधर घूमने लगा। घूमते-घूमते वह बहुत दूर निकल आया। उसने जंगल पार किया। जंगल पार करते ही उसे एक कुआं नज़र आया। वह कुएं की मुंडेर पर चढ़ गया और अंदर झांककर देखा। उसे कुछ मेंढक कुएं में नज़र आये। उसने मिलने के लिए वह फौरन कुएं में कूद गया।
एक विशाल समुद्र में एक मेंढक रहा करता था। एक दिन वह समुद्र से बाहर निकला और फुदक-फुदक कर इधर-उधर घूमने लगा। घूमते-घूमते वह बहुत दूर निकल आया। उसने जंगल पार किया। जंगल पार करते ही उसे एक कुआं नज़र आया। वह कुएं की मुंडेर पर चढ़ गया और अंदर झांककर देखा। उसे कुछ मेंढक कुएं में नज़र आये। उसने मिलने के लिए वह फौरन कुएं में कूद गया।
फुदक-फुदक कर इधर-उधर घूमने लगा। घूमते-घूमते वह बहुत दूर निकल आया। उसने जंगल पार किया। जंगल पार करते ही उसे एक कुआं नज़र आया। वह
फुदक-फुदक कर इधर-उधर घूमने लगा। घूमते-घूमते वह बहुत दूर निकल आया। उसने जंगल पार किया। जंगल पार करते ही उसे एक कुआं नज़र आया। वह
एक विशाल समुद्र में एक मेंढक रहा करता था। एक दिन वह समुद्र से बाहर निकला और
एक विशाल समुद्र में एक मेंढक रहा करता था। एक दिन वह समुद्र से बाहर निकला और
एक विशाल समुद्र में एक मेंढक रहा करता था। एक दिन वह समुद्र से बाहर निकला और
चूज़ों के साथ रहते हुए उसे कभी अहसास ही नहीं हुआ कि वह चूज़ा नहीं बल्कि बाज़ है. वह खुद को चूजा ही समझता था और हर काम उन्हीं की तरह करता था.
चूज़ों के साथ रहते हुए उसे कभी अहसास ही नहीं हुआ कि वह चूज़ा नहीं बल्कि बाज़ है. वह खुद को चूजा ही समझता था और हर काम उन्हीं की तरह करता था.
वह बगीचे के अंदर गई और चारों ओर देखने लगी। अचानक उसे एक छोटा सा पौधा दिखा, जिसमें एक कली लगी थी। मीरा को लगा कि यह वही जादुई गुलाब हो सकता है। उसने प्यार से उस पौधे को पानी दिया और उसके पास बैठकर गाना गाने लगी।
वह बगीचे के अंदर गई और चारों ओर देखने लगी। अचानक उसे एक छोटा सा पौधा दिखा, जिसमें एक कली लगी थी। मीरा को लगा कि यह वही जादुई गुलाब हो सकता है। उसने प्यार से उस पौधे को पानी दिया और उसके पास बैठकर गाना गाने लगी।
मीरा ने उस गुलाब को खोजने का फैसला किया। अगले दिन वह गाँव के पास के जंगल में गई और वहाँ एक बगीचा देखा। बगीचा बहुत ही सुंदर था, लेकिन वहाँ के सारे फूल मुरझाए हुए थे। मीरा ने सोचा, "क्या यह वही बगीचा है?"
मीरा ने उस गुलाब को खोजने का फैसला किया। अगले दिन वह गाँव के पास के जंगल में गई और वहाँ एक बगीचा देखा। बगीचा बहुत ही सुंदर था, लेकिन वहाँ के सारे फूल मुरझाए हुए थे। मीरा ने सोचा, "क्या यह वही बगीचा है?"
मीरा ने उस गुलाब को खोजने का फैसला किया। अगले दिन वह गाँव के पास के जंगल में गई और वहाँ एक बगीचा देखा। बगीचा बहुत ही सुंदर था, लेकिन वहाँ के सारे फूल मुरझाए हुए थे। मीरा ने सोचा, "क्या यह वही बगीचा है?"
मीरा ने उस गुलाब को खोजने का फैसला किया। अगले दिन वह गाँव के पास के जंगल में गई और वहाँ एक बगीचा देखा। बगीचा बहुत ही सुंदर था, लेकिन वहाँ के सारे फूल मुरझाए हुए थे। मीरा ने सोचा, "क्या यह वही बगीचा है?"
मीरा ने उस गुलाब को खोजने का फैसला किया। अगले दिन वह गाँव के पास के जंगल में गई और वहाँ एक बगीचा देखा। बगीचा बहुत ही सुंदर था, लेकिन वहाँ के सारे फूल मुरझाए हुए थे। मीरा ने सोचा, "क्या यह वही बगीचा है?"
कैसी बात करते हो? मत भूलों तुम एक चूज़े हो. चाहे कितनी ही कोशिश कर लो, बाज़ जितना नहीं उड़ पाओगे. इसलिए व्यर्थ में ऊँचा उड़ने के बारे में मत सोचो. जितना उड़ सकते हो, उतने में ही ख़ुश रहो.” चूज़े बोले.
कैसी बात करते हो? मत भूलों तुम एक चूज़े हो. चाहे कितनी ही कोशिश कर लो, बाज़ जितना नहीं उड़ पाओगे. इसलिए व्यर्थ में ऊँचा उड़ने के बारे में मत सोचो. जितना उड़ सकते हो, उतने में ही ख़ुश रहो.” चूज़े बोले.
कैसी बात करते हो? मत भूलों तुम एक चूज़े हो. चाहे कितनी ही कोशिश कर लो, बाज़ जितना नहीं उड़ पाओगे. इसलिए व्यर्थ में ऊँचा उड़ने के बारे में मत सोचो. जितना उड़ सकते हो, उतने में ही ख़ुश रहो.” चूज़े बोले.
चूज़े बोले, “वो पक्षियों का राजा बाज़ है. वह आकाश में सबसे ज्यादा ऊँचाई पर उड़ता है. कोई दूसरा पक्षी उसकी बराबरी नहीं कर सकता.” “यदि मैं भी उसके जैसा उड़ना चाहूं तो?” बाज़ के पूछा.
चूज़े बोले, “वो पक्षियों का राजा बाज़ है. वह आकाश में सबसे ज्यादा ऊँचाई पर उड़ता है. कोई दूसरा पक्षी उसकी बराबरी नहीं कर सकता.” “यदि मैं भी उसके जैसा उड़ना चाहूं तो?” बाज़ के पूछा.
चूज़े बोले, “वो पक्षियों का राजा बाज़ है. वह आकाश में सबसे ज्यादा ऊँचाई पर उड़ता है. कोई दूसरा पक्षी उसकी बराबरी नहीं कर सकता.” “यदि मैं भी उसके जैसा उड़ना चाहूं तो?” बाज़ के पूछा.
एक दिन उसने ऊँचे आकाश में एक बाज़ को उड़ते हुए देखा. इतनी ऊँचाई पर उसने किसी पक्षी को पहली बार उड़ते हुए देखा था. उसे बड़ा अचरज हुआ. उसने चूजों से पूछा, “वो कौन है भाई, जो इतनी ऊँचाई पर उड़ रहा है?”
एक दिन उसने ऊँचे आकाश में एक बाज़ को उड़ते हुए देखा. इतनी ऊँचाई पर उसने किसी पक्षी को पहली बार उड़ते हुए देखा था. उसे बड़ा अचरज हुआ. उसने चूजों से पूछा, “वो कौन है भाई, जो इतनी ऊँचाई पर उड़ रहा है?”
एक दिन उसने ऊँचे आकाश में एक बाज़ को उड़ते हुए देखा. इतनी ऊँचाई पर उसने किसी पक्षी को पहली बार उड़ते हुए देखा था. उसे बड़ा अचरज हुआ. उसने चूजों से पूछा, “वो कौन है भाई, जो इतनी ऊँचाई पर उड़ रहा है?”