बंटी ने दौड़ना शुरू किया, और सचमुच वह पलक झपकते ही दूर निकल गया। लेकिन तभी, जूता ने अपनी शरारत दिखानी शुरू कर दी। बंटी की टांगें बेकाबू होकर इधर-उधर दौड़ने लगीं। कभी वह पेड़ से टकराता, तो कभी झाड़ियों में जा घुसता। उसने सोचा, "ये क्या हो रहा है? मैं तो रुक ही नहीं पा रहा!" बंटी ने जूते को निकालने की कोशिश की, लेकिन जूता अपने आप कस गया।