“जनवरी का महीना था। चार दोस्त विवेक, दीपक, नितिन, और अकाश टूर पर निकले थे। सबसे पहले वो पहुँचे आगरा फोर्ट। रात काफी हो चुकी थी। कड़ाके की ठण्ड पढ़ रही थी। आगरा फोर्ट में पीछे की और कोई आता जाता नहीं था। वहाँ एक दो लोग तम्बू लगाकर भी रहते थे। और वहाँ पर घूमने के लिये भी कोई नहीं आता था।”