“मयंक एक मल्टीनेशनल कंपनी में ब्रांच मैनेजर की जॉब करता था। एक दिन मयंक को ऑफिस से घर जाने के लिए लेट हो गया था।
सर्दी की मौसम होने के कारण रात भी जल्दी हो गई थी। ठंड भी बहुत शुरू हो चुकी थी। रास्ते में चलते-चलते मयंक को अचानक एक आवाज सुनाई दी।
“रुक जाओ…!”
मयंक वहीं पर ही रुक गया और पीछे मुड़ के देखा। लेकिन पीछे कोई भी नहीं था। फिर से वही आवाज सुनाई दी।
“सामने देखो…!”