“उस वक्त मैं जान चुकी थी कि क्या हो रहा है? मैं डर से काँप रही थी। मैं अलार्म को बंद कर उस चीज पर नजर रखने लगी। वह चीज झाड़ियों से बाहर आई और धीरे-धीरे मेरे घर के गेट के पास बढ़ने लगी। अपने एक हाथ से उसने गेट के लॉक को खोला। मैं इतना डर गई थी कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। मेरे दिमाग में कई तरह के बुरे विचार आ रहे थे।”